अवैध खनन का खेल, जेएम भी फेल, कार्रवाई के बाद भी नहीं रुक रहा अवैध खनन

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रुड़की। ज्वाईंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के गाधारौणा गांव के जंगल में दो जेसीबी व एक डंपर को अवैध खनन करते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया। सुरक्षा के मद्देनजर दोनों जेसीबी व डंपरों को लण्ढौरा पुलिस चौकी में सुपुुर्द कर दिया गया हैं। एसडीएम द्वारा की गई इस कार्रवाई की समाजसेवी लोगों ने भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे जनहित में एक बड़ा कदम बताया।
बताया गया है कि गाधारौणा के जंगल में एक बड़ा खनन माफिया पिछले कई दिन से जेसीबी लगाकर मिट्टी का खनन कर रहा था। पुलिस द्वारा शिकायत के बावजूद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई उंचे रसूख के चलते नहीं की गई। बाद में थक-हारकर समाजसेवी लोगों ने इसकी जानकारी जेएम रुड़की को दी। वह अपनी टीम के साथ मौके पर पहंुची, जेएम को देखकर खनन माफिया मौके से भाग निकले। जबकि मिट्टी खनन कर रही दो जेसीबी व दो डंपर पकड़ लिये गये और उन्हें लण्ढौरा पुलिस के सुपुर्द कर दिया। माफियाओं द्वारा खनन करने का यह कोई पहला मामला नहीं हैं। रुड़की क्षेत्र के कई स्थानों पर कुछ लोगों द्वारा मामूली अनुमति लेकर बड़ा मिट्टी खनन किया जा रहा हैं तथा कुछ माफिया रसूख के चलते कानून को जेब में रखकर मिट्टी खनन कर रहे हैं। यह सिलसिला रात के समय और अधिक चलता हैं तथा जागरूक लोगों द्वारा पुलिस को यदि इस सम्बन्ध में शिकायत भी की जाती हैं, तो वह नजरे पफेर लेते हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि खनन माफियाओं की कुछ पुलिसकर्मियों से मिलीभगत के चलते इसे अंजाम दिया जा रहा हैं। जबकि जिलाधिकारी व देहरादून में बैठे सरकार के लोगों को इसकी भनक तक भी नहीं हैं। चर्चा है कि बेलड़ा, गाधारौणा, सालियर, जौरासी जबरदस्तपुर, सुनहरी, बढ़ेडी, जहाजगढ़, भारापुर भौंरी, लालवाला आदि स्थानों पर कुछ लोगों द्वारा अनुमति ली गई हैं और कुछ बिना अनुमति के ही मिट्टी का खनन कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में समाजसेवी लोगों द्वारा जब खनन बाबू, तहसीलदार, नायब तहसीलदार को जानकारी दी गई, तो उन्होंने कहा कि वह जांच कर लेंगे, लेकिन जांच का नतीजा भी धरातल पर दिखाई नहीं दिया और पिछले कई दिनों से अवैध खनन का यह क्रम लगातार जारी हैं। जब एसडीएम रुड़की से अवैध खनन की शिकायत की गई, तो उन्होंने कहा कि वह इस मामले की शिकायत डीएम से करेंगी। अब उनके इस ब्यान का मतलब क्या हैं? इसे आसानी से समझा जा सकता हैं। अब सवाल यह भी है कि क्या खनन के मामले में एसडीएम के अधिकार कम पड़ गये। जबकि दिलचस्प पहलू यह भी है कि इन मिट्टी खनन की अनुमति में पहला बिन्दू ही क्षेत्रीय एसडीएम की आख्या प्रस्तुत करना हैं। खनन के मामले को डीएम के पाले में डालना उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता हैं?

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