आरएसपीएल सर्फ़ कंपनी प्रबंधन से मिले राजू विराटिया, ग्रामीणों ने कंपनी पर लगाया कैमिकल युक्त पानी बोरिंग करने का आरोप

big braking dehradun Haridwar Latest News Main News political Politics Roorkee social uttarakhand

रुड़की। बंदाखेड़ी में स्थित आरएसपीएल घड़ी सर्फ कम्पनी कैमिकल युक्त पानी बौरिंग के जरिये जमीन में धकेला जा रहा हैं। जो जमीनी जल स्तर में मिलकर बौरिंग/ट्यूबवैल के जरिये बाहर आ रहा हैं। इसकी सूचना आम आदमी पार्टी के झबरेड़ा प्रभारी राजू सिंह विराटिया को मिली, तो वह आज अपनी टीम के साथ बंदाखेड़ी गांव में पहंुचे और ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। इस दौरान उन्हें ग्रामीण महेेन्द्र सिंह, सुंदरलाल, रामदास आदि लोगों ने बताया कि उनके यहां जो सबमर्सिबल ट्यूबवैल लगे हुये हैं, उनसे झाग युक्त पानी आ रहा हैं। यही नहीं ग्रामीणों द्वारा राजू सिंह विराटिया को ट्यूबवैल चलाकर बाल्टी में पानी भरकर दिखाया गया, तो वह झाग से भर गई। इस पर विराटिया ने अफसोस जताया और कहा कि वह इस सम्बन्ध में शासन-प्रशासन से वार्ता कर भूख हड़ताल करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। ग्रामीणों की पानी पीने की समस्या का निदान अवश्य कराया जायेगा। यही नहीं वह घड़ी सर्फ कम्पनी के प्रबन्धक मण्डल से भी मिले और उन्हें बंदाखेड़ी के लोगों की समस्याओं से अवगत कराया और साथ ही कहा कि वह इस कैमिकल युक्त पानी को जमीन में डालना बंद कर दें, वरना यहां के लोग भयंकर बीमारी से जूझने के बाद दम तोड़ सकते हैं। वहीं प्रबन्धन मण्डल ने भी अपने बचाव में कहा कि यहां अनेक कम्पनियां हैं और इस प्रकार की शिकायत प्रदूषण अधिकारी से भी कई बार की जा चुकी हैं। वह अपना पानी पेड़-पौधों में इस्तेमाल करते हैं। हालांकि वह आप पार्टी के नेता राजू सिंह विराटिया को संतुष्ट नहीं कर पाये। इस मौके पर राजू सिंह विराटिया ने पीसीबी अधिकारी राजेन्द्र सिंह कठैत से भी जानकारी मांगी, तो उन्होंने मामला संज्ञान में न आने की बात कही। जबकि यह बड़ा मामला हैं और यहां महामारी कब पफैल जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता। क्योंकि कैमिकल युक्त पानी पीने से लोग बीमार हो सकते हैं, इसलिए वह पीने का पानी बाहर से लाते हैं। वहीं राजू विराटिया ने प्रबन्धक मण्डल से कहा कि वह बिसलेरी का पानी पीते हैं, जबकि ग्रामीण प्रदूषित पानी पी रहे हैं। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और वह ग्रामीणों के साथ मिलकर भूख हड़ताल करेंगे।
सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले लम्बे समय से इस गांव के लोग प्रदूषित पानी की समस्या को लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों से सम्पर्क कर चुके हैं, लेकिन उन्हें अंध्ेरा ही अंधेरा नजर आता हैं और पिछले एक दशक से यह समस्या विकराल रुप धारण किये हुये हैं। ग्रामीणों का साफ कहना है कि जब यहां उद्योग नहीं लगे थे, तब तक उनके नलों से साफ पानी आता था, लेकिन उद्योग लगते ही यहां कैमिकल युक्त पानी नलों से बाहर आने लगा। ऐसे में वह अपने परिवार को लेकर कहां जाये। वहीं पीसीबी विभाग और एनजीटी की कार्यशैली भी संदिग्ध नजर आती हैं। क्योंकि जब आंखों के सामने कैमिकल युक्त पानी बाहर आ रहा हैं, तो ऐसे में जांच में वह कैसे ठीक हो सकता हैं। इससे पता चलता है कि अधिकारियों की कार्यशैली में छेद ही छेद हैं। शासन- प्रशासन तभी जागेगा, जब यहां कोई बड़ा हादसा सामने आयेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *