झील में तब्दील हुई मध्य हरिद्वार की सड़कें,कई कॉलोनियों में घुसा पानी,बाजारों में फैला कचरा

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हरिद्वार। बेशक अभी मानसून आने में वक्त हो किन्तु रविवार अलासुबह आईं मूसलाधार बरसात ने शहर की सड़कों को पलभर में ही जलमग्न कर दिया। कई कॉलोनियों मेे भी पानी भर गया। हर बरसात की तरह सबसे ज्यादा बुरा हाल भगत सिंह चौक पर देखा गया। जहा रेलवे ब्रिज के नीचे जलभराव के चलते वाहन चालकों को अपना रास्ता बदलना पड़ा।

झील में तब्दील हुआ मध्य हरिद्वार

रविवार सुबह 5 बजे शुरू हुई तेज बरसात ने चंद घंटों की बरसात ने मध्य हरिद्वार की सड़कों को झील मेे तब्दील कर दिया। सड़कों पर जलभराव के चलते कई दुकानों में पानी घुस गया। आलम ये था कि सड़कों पर खड़ी गाड़ियों की केवल छत ही दिखाई दे रही थी। इसके अलावा शहर की कई कालोनियों में भी पानी भर गया। दिनभर लोग अपने घरों से पानी निकालते रहे।

बरसात के चलते ज्वालापुर के मुख्य बाजारों पीठ बाज़ार,कटहरा बाज़ार व पुरानी अनाज मंडी की सड़कों पर काफी पानी जमा हो गया कई जगह तो दुकानों के अंदर तक पानी घुस गया। वहीं मध्य हरिद्वार में भी कई कॉलोनियों मेे जलभराव की स्थिति देखी गई। हर बरसात की तरह इस बार भी भगत सिंह चौक पर जलभराव के कारण काफी संख्या में वाहन फंसे रहे। वहीं उतरी हरिद्वार के भीमगोड़ा,भूपतवाला आदि क्षेत्रों में बरसाती पानी के साथ पहाड़ से निकलकर आईं सिल्ट से सड़के व नालियां भर गई।

प्रशासन का हर प्लान फेल

शहर को जलभराव की समस्या से मुक्ति दिलाने व पानी की निकासी के लिए हर बरसात से पहले प्रशासन के द्वारा बनाए गए हर प्लान फेल होते गए। अब इसे प्रशासन की इच्छाशक्ति की कमी कहे या दूरदर्शिता का अभाव जिस कारण इतने वर्षों बाद भी शहर को जलभराव की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं निकल सका।

स्थानीय व्यापारी भी कम जिम्मेदार नहीं

पर्यावरण के प्रति शहरवासियों का उदासीन रवैया भी कम जिम्मेदार नहीं। जिस प्लास्टिक (पॉलीथिन) को लेकर जागरूक किया जा रहा है वहीं प्लास्टिक कचरा सबसे ज्यादा बाजारों मेे दिखाई देते है। स्थानीय व्यापारियों द्वारा अपने अपने प्रतिष्ठानों के बाहर फेंका जा रहा यह प्लास्टिक कचरा नाले,नालियों में जाकर उसे चोक कर रहा है जिससे हल्की बारिश में भी नाले नालिया भर जाती है और वही पानी सड़कों पर फ़ैल जाता है। बरसात रुकने के घंटो बाद जब पानी निकलता है तो वहीं प्लास्टिक कचरे का ढेर सड़कों पर दिखाई पड़ता है। इतने बड़े व्यापार मंडल के होते हुए भी कभी व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने इस ओर कोई ठोस कदम उठाने की जहमत नहीं की,अलबत्ता इस समस्या का ठीकरा प्रशासन पर ही फोड़ा है।

सबकी सहभागिता व ठोस नीति से हल होगी समस्या

बेशक प्रशासन को इस समस्या का ठोस हल निकालना चाहिए लेकिन इसके साथ साथ स्थानीय व्यापारियों व शहरवासियों मेे भी जागरूकता आनी चाहिए। सभी को मिलकर प्लास्टिक कचरे को नाले नालियों में फेंके जाने से बचना होगा। तभी इस समस्या से निपटा जा सकता है। क्योंकि अक्सर देखा गया है कि जब भी साप्ताहिक बंदी के दिन निगम प्रशासन द्वारा बाजारों मेे नाले नालियों की सफाई कराई जाती है तो कितना प्लास्टिक कचरा निकलता है।

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