श्रद्धापूर्वक मनायी आद्व जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान की जयंती

dharma Haridwar Latest News Roorkee social

हरिद्वार। आद्य जगदगुरु भगवान शंकराचार्य जी की जयंती श्री आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्मारक समिति के तत्वावधान में तीर्थनगरी में मंगलवार को श्रद्धा के साथ मनायी गयी। इस अवसर पर संतों ने प्रातः श्री शंकराचार्य चौक स्थित शंकराचार्य जी की प्रतिमा का पूजन अर्चन कर संन्यास परम्परा के प्रतिपादक भगवान शंकराचार्य को नमन किया। इसके पश्चात श्री सूरतगिरि बंगला गिरिशानंद आश्रम में आद्य जगद्गुरु के श्रीविग्रह का पूजन-अर्चन किया गया।
इससे पूर्व समिति के महामंत्री श्रीमहंत देवानंद गिरि महाराज ने कहाकि आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान का जन्म केरल के कालड़ीगांव में नम्बूदरी ब्राह्मण कुल में हुआ था। आज इसी कुल के ब्राह्मण बद्रीनाथ मंदिर के रावल एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य की गद्दी पर बैठते हैं। तीन साल के थे तब इनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद गुरु के आश्रम में इन्हें 8 साल की उम्र में वेदों का ज्ञान प्राप्त किया। वेद-वेदांग का अध्ययन करने के बाद वे भारत यात्रा पर निकले गए और देश के 4 हिस्सों में 4 पीठों की स्थापना की । इन्होंने 3 बार पूरे भारत की यात्रा की।
स्वामी विश्वस्वरूपानंद महाराज ने कहाकि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता के लिए आदि जगदगुरु शंकराचार्य ने विशेष व्यवस्था की थी। उन्होंने उत्तर भारत के हिमालय में स्थित बदरीनाथ धाम में दक्षिण भारत के ब्राह्मण पुजारी और दक्षिण भारत के मंदिर में उत्तर भारत के पुजारी को रखा। वहीं पूर्वी भारत के मंदिर में पश्चिम के पूजारी और पश्चिम भारत के मंदिर में पूर्वी भारत के ब्राह्मण पुजारी को रखा। जिससे भारत चारों दिशाओं में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत हो तथा देश एकता के सूत्र में बंध सके। आदि शंकराचार्य ने दशनामी संन्यासी अखाड़ों को देश की रक्षा के लिए बांटा। उन्होंने कहाकि देश की एकता और अखण्डता के साथ भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए आद्व शंकराचार्य के बताए मार्ग को अनुसरण करना होगा। इस अवसर पर उपस्थित संतों और ब्राह्मणों ने वैश्विक महामारी कोरोना से जनमानस को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान से प्रार्थन की। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वमी सुमन पुरी, स्वमी रामेश्वरानंद, स्वामी गिरधरगिरि, स्वामी ग्रवीन्द्रानंद, स्वामी कमलनानंद, स्वमी रामानंद, स्वामी कृष्णानंद समेत अनेक संत व ब्राह्मण मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *