शिवम महंत बने युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष

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हरिद्वार। भूपतवाला स्थित श्रीचेतन ज्योति आश्रम में सोमवार को अध्यात्म चिंतन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें युवा भारत साधु समाज का गठन किया गया। सर्वसम्मति से स्वामी शिवानंद महाराज (शिवम महंत) को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के महंत मुनि वत्सल महाराज ने कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्जवलित कर किया। स्वामी मुनि वत्सल महाराज, बाबा हठयोगी, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी ऋषिश्वरानन्द सहित बड़ी संख्या में संत समाज ने युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी शिवानंद महाराज का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथी संबोधित करते हुए स्वामी मुनि वत्सल महाराज ने कहा कि युवा संत सनातन धर्म की रीढ़ हैं। जो भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में अपना अहम योगदान प्रदान कर रहे हैं। युवा भारत साधु समाज के माध्यम से हमें आशा है कि स्वामी शिवानंद महाराज पूरे देश में सनातन धर्म का परचम लहराएंगे और युवा संतों को संगठित कर राष्ट्र को उन्नति की और अग्रसर करेंगे। बाबा हठयोगी व स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि युवा संत भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं समाज को संस्कारवान बनाने की दिशा में कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार व संरक्षण में संत महापुरूषों की अहम भूमिका है। युवा भारत साधु समाज के माध्यम से युवा संतों को संगठित कर समाज में फैली कुरीतियों को दूर किया जाए और समाज का मार्गदर्शन समय समय पर किया जाना चाहिए। श्री चेतन ज्योति आश्रम के स्वामी ऋषिश्वरानन्द महाराज ने कहा कि युवा संत धर्म का एक नया अध्याय प्रारम्भ कर लोगों में धर्म के प्रति चेतना जागृत करें और पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे लोगों का मार्गदर्शन कर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें। युवा भारत साधु समाज के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी शिवानन्द महाराज ने कहा कि जो दायित्व मुझे संत समाज द्वारा सौंपा गया है। उसका पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन किया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में सभी संत महापुरूषों ने डा .प्रियंका रेड्डी को श्रद्धांजलि दी और सरकार से मांग की कि उनके हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए। इस अवसर पर बद्रीश स्वामी नारायण, महंत कमलदास, महंत अरूणदास, स्वामी प्रकाशानंद, महंत गोपालकृष्ण, महंत सूरजदास, महंत सुमित दास, महंत प्रह्लाद दास, स्वामी केशवानंद, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत दिनेशदास, स्वामी नित्यानंद, श्रवण कुमार आदि संत उपस्थित रहे।

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