जानिए रक्षा बंधन का मुहुर्त व शुभ नक्षत्र

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ब्राह्मणों को प्रमुख पर्व में श्रावणीः मिश्रपुरी
हरिद्वार।
उपाकर्म ब्राह्मणों का मुख्य त्यौहार है। इसे श्रावणी पर्व भी कहा जाता है। इस दिन बहिनें अपने भाईयों को राखी बांधकर उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं। भारत में प्रत्येक वर्ग व धर्म के लोग रक्षा बंधन के पर्व को मनाते हैं। किन्तु ब्राह्मणों के लिए इस दिन का खास महत्व है। या यूं कहें की यह दिन ब्राह्मणों के पर्व का दिन है। प्रत्येक ब्राह्मण पूरे वर्ष में किए गए ज्ञात-अज्ञात पापांे का शमन करते हुए समाज की रक्षा के के लिए रक्षा सूत्र का निर्माण करता है।


उपकर्म के संबंध में ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने कहाकि ब्राह्मण समाज ने सबसे कठिन समय अपने लिए ही चुना है। बरसात का काल कठिन समय है। कहाकि वर्ण व्यवस्था के अनुसार चार वर्णों के चार प्रमुख त्यौहार बताए गए हैं। जिसमें ब्राह्मणों के लिए उपाकर्म या श्रावणी, क्षत्रियों के लिए दशहरा, वैश्य समाज के लिए दीपावाली और अन्य वर्ण व जातियों के लिए होली का त्योहार बहुतप्रमुख है। श्री मिश्रपुरी ने बताया कि चारांे वेदों के ब्राह्मण भी अलग-अलग हैं। ऋग्वेद ब्राह्मणों के लिए उपाकर्म श्रवण शुक्ल पंचमी, श्रवण शुक्ल में हस्त नक्षत्र, और श्रावण शुक्ल में श्रवण नक्षत्र, ये तीनों हैं। जबकि यजुर्वेद के ब्राह्मणों के लिए श्रावण पूर्णिमा, श्रावण शुक्ल पंचमी, श्रावण शुक्ल में हस्त नक्षत्र परन्तु सभी विद्वानों ने श्रावण पूर्णिमा को ही सर्वोत्तम कहा है। उन्होंने कहाकि यदि उस दिन ग्रहण हो तो दूसरी तिथियों में यह कर्म हो सकता है। इसके बाद सामवेद ब्राह्मणों के लिए भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में हस्त नक्षत्र में किया जाता है। इस दिन हेमाद्रि संकल्प के द्वारा समस्त पापो का विनाश किया जाता है। ये संकल्प ही बहुत ही लंबा होता है। इस संकल्प में पूरे विश्व का वर्णन है। कहाकि समस्त वन, अरण्य, नदियों, पुरियों, नागो, दीपांे, राज्यांे, देवताओं आदि सभी का इस संकल्प में वर्णन है। इसके बाद कई तरह का स्नान होता है। इस पूरे कर्म काण्ड में 4 घंटे लग जाते हैं। उसके बाद भद्रा रहित समय में रक्षा बांधी जाती है। श्री मिश्रपुरी के मुताबिक बारह प्रकार की धान्य, दधी मुखी, भद्रा, महामारी, खरा नना, काल रात्रि, महा रुद्रा, विस्टी, कुल पुत्रिका, भैरवी, महा काली, असुर छह य करी, भद्रा होती हैं। इन बारह नामों का उच्चारण करते हुए भी भद्रा में रक्षा बंधन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा में रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए। कहाकि इस बार रक्षा बंधन 3 अगस्त को सूर्य के नक्षत्र में मनायी आएगी। इस दिन भद्रा प्रात 9ः30 तक होगी उसके बाद कभी भी रक्षा बंधन मना सकते हैं। श्री मिश्रपुरी के मुताबिक इसमें भी 11ः59 से 12ः47 तक अभिजीत योग उत्तराखंड में होगा। इसमें रक्षा सूत्र बांधना बहुत शुभ होगा। कहाकि जो लोग रक्षा बंधन जल्दी मनाना चाहते हैं तो वह प्रातः 9ः30 के बाद 10ः43 तक भी शुभ की चौघडि़या में रक्षा बंधन कर सकते हैं।

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