पेयजल की मांग एवं पूर्ति के मध्य सामंजस्य बिठाना अनिवार्यः गर्ग

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हरिद्वार। एसएमजेएन पीजी काॅलेज में राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन रविवार को तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. पी एस चैहान एवं समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. अवनीत कुमार घिल्डियाल ने की। इस राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन एसएमजेएन पीजी कॉलेज, उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केन्द्र, देहरादून एवं हरिद्वार नागरिक मंच के संयुक्त तत्वाधान मंे आयोजित किया गया। कार्यशाला में उत्तराखण्ड राज्य के विशेष सन्दर्भ में जल संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों व तकनीकों से जागरुक किया गया।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए तकनीकी सत्र के विषय विशेषज्ञ डॉ नरेश कुमार गर्ग ने कहा कि जीवन के लिए जल प्रकृति का एक अतुलनीय व अमूल्य उपहार है। जीवन जल के बिना संभव नहीं। समष्टि स्तर पर, बढ़ती जनसंख्या व आर्थिक विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों से जल का प्रयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है, साथ ही जल प्रदूषण में भी लगातार वृद्धि होती जा रही हैं। वैज्ञानिक अनुसंधानों से पेयजल की उपलब्ध मात्रा में समय-समय पर निरपेक्ष वृद्धि करने के लिए प्रयास किये जाते रहे हैं एवं आगे भी जारी रहेंगे। सरकारी व गैर-सरकारी संगठन भी पेयजल संरक्षण के लिए उपयोग मात्रा को नियंत्रण करने के लिए लगातार नियंत्रक व प्रेरक शक्तियों के रूप में कार्य कर रहे हैं।
डॉ गर्ग ने कहा कि ऐसा लगता है कि समष्टि स्तर पर स्थिति में कोई बड़ा आशावादी परिवर्तन नहीं हो पा रहा है। परिणामस्वरूप, समष्टिगत दृष्टि से जल की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है व जलापूर्ति के लिए भंडार निरंतर कम होते जा रहे हैं। स्थिति निरंतर चिंताजनक होती जा रही हैं। व्यष्टि दृष्टिकोण से यदि देखें तो कुछ व्यक्ति जल का उपयोग कम करने का प्रयास करते हैं। कहाकि आर्थिक विकास के लिए उद्योगों द्वारा की जा रही गतिविधियों से जल का उपयोग भी निरंतर बढ़ ही रहा है साथ ही जल प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है जिसके कारण पेय जल के स्रोत निरंतर कम होते जा रहे हैं।
विषय विशेषज्ञ प्रो. आई.पी. पाण्डेय ने कहा कि हमारी जीवन की पूरी दिनचर्या ही जल से प्रारम्भ होकर जल पर ही समाप्त होती है, किसी भी कार्य के लिए हमें उचित मात्रा में ही जल का प्रयोग करना चाहिए। जल की सुरक्षा हमारे घर से ही प्रारम्भ होती है।
कार्यशाला में डॉ आनन्द शंकर ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन की दिनचर्या में जल का उचित प्रयोग करके जल संरक्षण का किया जा सकता है।
कार्यशाला में आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में आकांक्षा चैधरी एवं कनुप्रिया द्वारा बनाए गए पोस्टर ने प्रथम स्थान, ज्योति भार्गव द्वितीय स्थान एवं पारुल खन्ना तथा तुषार गोतरा द्वारा बनाए गए पोस्टर को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। सर्वश्रेष्ठ मॉडल के लिए पृथ्वी सिंह को पुरस्कृत किया गया। सर्वश्रेष्ठ नवोदित शोध प्रबंध पढ़ने के लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मोहित कुमार को प्रथम स्थान दिया गया।
काॅलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. पी.एस. चैहान ने कहा कि जल के अनूकूलतम प्रयोग नहीं होने के कारण ही इसका सन्तुलन बिगड़ते ही जल पर संकट आना स्वाभाविक है। प्रो. चैहान ने जल संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करना व तालाबों की योजना बनाना भी आवश्यक है। प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि कार्यशाला अपने उद्देश्यो में सफल मानी जाएगी यदि कार्यशाला में सुझाए गए उपायों को सरकार समाज एवं संबंधित जन समुदाय के द्वारा अपनाया जाएगा। संचालन डाॅ. प्रज्ञा जोशी द्वारा किया गया।

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