त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे स्वामी चेतनानंद महाराजः राजराजेश्वराश्रम

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हरिद्वार। श्री चेतनानंद गिरि आश्रम कनखल के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी चेतनानंद गिरि महाराज का 49 वां निर्वाण महोत्सव मंगलवार को आश्रम के महंत स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि महाराज के सानिध्य और स्वामी राजराजेश्वरानंद महाराज की उपस्थिति में श्रद्धापूर्वक मनाया गया।
इस अवसर पर ब्रह्मलीन स्वामी चेतनानंद गिरि महाराज को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहाकि स्वामी चेतनानंद गिरि महाराज त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने साधु सेवा, गौ सेवा के लिए अनेक कार्य किए। कहाकि वे वीतराग संत थे। संन्यास के पश्चात वे तपस्या में लीन होने के लिए हिमालय चले गए। जिस कारण उनके शिष्य चितिंत हुए। अपने गुरु स्वामी गिरिशानंद महाराज के आदेश के पश्चात कई वर्षों बाद वे हिमालय ये लौटे और यहां आकर उन्होंने संत सेवा और गौ सेवा को अपना ध्येय बनाया। कहाकि उन्हीं के पद्चिह्नों पर चलकर आश्रम के परमाध्यक्ष स्वमी विष्णुदेवानंद महाराज भी सेवा कार्यों में लगे हुए हैं। उन्होंने दूर दराज से आए श्रद्धालु भक्तों को भगवन्नाम स्मरण सदैव करते रहने की सलाह दी। कहाकि कलियुग में गुरु सेवा और भगवन्नाम स्मरण ही मुक्ति का एकमात्र साधन है। इस अवसर पर आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि महाराज के शिष्य स्वामी रामानंद गिरि महाराज व स्वामी कृष्णानंद महाराज ने पधारे सभी संतों का स्वागत किया। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, महंत विनोद गिरि, स्वामी विश्वस्वरूपानंद गिरि, स्वामी कमलानंद, स्वामी सेवक गिरि, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गादास समेत अनेक संत-महात्मा उपस्थित थे।

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