15 वर्षों के कड़े संघर्ष के बाद शुरु हुआ पुल निर्माण का कार्य, जसवीर प्रधान की मेहनत लाई रंग

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रुड़की/संवाददाता
कहते हैं कि जब व्यक्ति अपनी पूरी निष्ठा, ईमानदारी व लग्न के साथ किसी कार्य को करने के लिए आगे बढ़ता हैं, तो निश्चित रुप से उसे एक न एक दिन उसे सफलता जरूर हासिल होती हैं। इसी प्रकार का कड़ा संघर्ष आमखेड़ी के पूर्व प्रधान जसवीर चौधरी ने वह कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
दरअसल 2005 में उन्होंने सोलानी नदी के पुल निर्माण को लेकर एक मुहिम चलाई, इसमें युद्ध स्तर पर कड़ी मेहनत की गई। जो एक लम्बे संघर्ष के बाद 2020 में फलीभूत होती दिखाई दे रही हैं। इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए पूर्व प्रधान जसवीर सिंह ने बताया कि उनके द्वारा 2005 में सोलानी नदी पर आमखेड़ी में पुल निर्माण की मांग की गई थी। पुरकाजी, लण्ढौरा, लक्सर, नारसन आदि रास्तों से होकर आना पड़ता हैं। आमखेड़ी घाट से ही एक रास्ता निकलता हैं। बरसात में रतमउ नदी व सोलानी एक होकर बहती हैं, हर वर्ष इसमें पानी में डूबकर किसी न किसी व्यक्ति की मौत हो जाती थी, नदी के दोनों ओर गांव के किसान खेती करते हैं। यहां तीन ब्लॉक की सीमा लगती हैं, उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में पहली घोषणा हुई, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाई, इस पर उनके द्वारा तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह से शिकायत की गई, जिस पर संज्ञान लिया गया और इसके लिए 7 करोड़ 47 लाख रुपये का टेंडर हुआ। जब तक यह मुहिम आगे बढ़ती, तभी भाजपा की सरकार आ गई और इस टेंडर को निरस्त कर दिया गया। काफी भागदौड़ के बाद 10 करोड़ का स्टीमेट बना, लेकिन वह भी आगे नहीं बढ़ता, तभी डॉ. निशंक सीएम बन गये। वह फाईल लेकर दौड़े तथा 18 करोड़ का स्टीमेट हुआ। इसके बाद सरकार कांग्रेस की आ गई। इस सम्बन्ध में वह सीएम बहुगुणा से मिले और उन्होंने हरीश रावत की अनुशंसा पर इसका स्टीमेट 16 करोड़ रुपये कर दिया। प्रथम चरण का टेंडर भी किया गया, पेमाईश शुरू हुई, लेकिन फिर सत्ता बदल गई और हरीश रावत सीएम बन गये। यह सरकार भी चली गई, लेकिन कार्य आगे नहीं बढ़ पाया। उसके बाद त्रिवेन्द्र की सरकार आई और इसका बजट 28 करोड़ पर पहंुच गया। सरकार की लीपापोती से परेशान प्रधान अपनी पत्नि कुसुम देवी के साथ हाईकोर्ट पहुंचे और सरकार के खिलाफ रिट दायर की। इसकी सुनवाई डबल बैंच ने की। साथ ही भारत सरकार को आदेशित किया कि इस पुल निर्माण की रकम भेजी जाये। इससे स्टेट का दखल समाप्त हो गया और भारत सरकार ने फरवरी 2019 में 28 करोड़ 85 लाख रुपये जारी कर दिये तथा वह मुकदमा जीत गये। प्रधान ने बताया कि उनकी पत्नि ने मंदिर में भगवान से प्रार्थना करते हुए मनोकामना की थी कि भगवान इस पुल निर्माण का रास्ता दिखायें, इसे लेकर प्रधान द्वारा भूमि-पूजन किया गया। जब प्रशासन को पता लगा, तो वह उन्हें रोकने के लिए मौके पर पहुंचे। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश दिखाये और भूमि-पूजन किया। उन्होंने बताया कि उनके भूमि-पूजन करने के तीन दिन बाद केंद्रीय मंत्री डॉ. निशंक इस पुल निर्माण का श्रेय लेने के लिए शिलान्यास करने पहुंचे। इस पर प्रधान के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने उनके खिलाफ जोरदार नारेबाजी की, जो उस समय मीडिया की सुर्खियां भी बनी। उसके बाद पुल निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया। इस पर प्रधान जसवीर सिंह द्वारा सम्बन्धित विभाग को सूचित किया गया और उन्हें कोर्ट के आदेश दिखाये। जिस पर विभाग के ईई के पैर उखड़ गये और उन्होंने प्रधान से कुछ समय मांगा। पूर्व प्रधान जसवीर सिंह ने बताया कि सोमवार को उसका शुभ-मुहुर्त शुरू हो चुका हैं, जिसकी उन्हें अपार खुशी हैं। लम्बे संघर्ष और मुकदमें बाजी के बाद आखिर सच्चाई की जीत हुई।
बहरहाल कुछ भी हो, वास्तव में ही जो कार्य, जनहित को देखते हुए सत्ताधारी सरकारों और उनके जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए, वह तो कुछ कर नहीं पाये। इस कार्य को बिहार के दशरथ मांझी के नक्शे-कदम पर चलते हुए आमखेड़ी के पूर्व प्रधन चौ. जसवीर सिंह ने आसान कर दिखाया। पूर्व प्रधान ने कहा कि इस पुल के निर्माण से आस-पास के सैकडों गांवों के लोगों को अब लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी और वह आसानी से अपने गंतव्य की ओर आवागमन कर सकेंगे।

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