हरिद्वार। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए इसे अखाड़ों की प्रक्रिया को समाप्त करने और निज स्वार्थ सिद्ध करने वाली संस्था बताया है।
प्रेस क्लब में शनिवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए बाबा हठयोगी ने कहाकि वास्तव में अखाड़ा परिषद भूमाफिया और कुंभ मािफया के सरगना बनकर काम कर रहे हैं। कहाकि जिनका काम समाज के उपकार के लिए होना चाहिए था वह मंत्रियों की चमचागिरि कर रहे हैं। कहाकि दानदाताओं ने अखाड़ों को धार्मिक उद्देश्य से जमीनें दान दी थीं, वहां अब आवासीय कालोनियां विकसित कर करोड़ों का काला धन प्राप्त किया है। बाबा हठयोगी ने कहाकि छावनियोें की जमीनें जो साधुओं रहने और कुंभ मेलोें मंे साधुओं के आश्रम का प्रमुख स्थान थी, जहां से कभी शंख, घंटे, घडियाल की आवाजें आती थीं वहां से अब चूड़ियों की खनखन तथा लहंगों के दर्शन होते हैं। कहाकि ऐसा कर अखाड़े समाज को कहां ले जा रहे हैं।
बाबा हठयोगी ने कहाकि अखाड़ा परिषद मेला प्रशासन पर दवाब बनाकर भू आबंटन और पांच करोड़ देने की बात कर रहा है। प्रशासन को पहले इनसे अखाड़ों की जमीनों का हिसाब लेना चाहिए। उन्होंने कहाकि 1954 से पूर्व अखाड़ा परिषद नाम की कोई संस्था नहीं थी। कुंभ मेलों में अपनी सुविधाओं के लिए इसका गठन किया। अब यह दवाब बनाकर अपना हित साधने वाली संस्था बनकर रह गयी है। उन्होंने कहाकि पूर्व में संयासी अखाड़े को एक पदाधिकारी और दूसरा निर्मल, उदासीन या बैष्णव संम्प्रदाय का हुआ करता था। अब धन की बंदरबांट के लिए दोनों पद संयासियों के पास है। जिसके खिलाफ इन अखाड़ों को आवाजा उठानी चाहिए थी। कहाकि धन की बंदरबांट के चलते इन अखाड़ों ने भी अपनी आवाज को दबा लिया है।
महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहाकि अखाड़ों द्वारा अपनी जमीन पर जो निर्माण कराए गए हैं वह सब अवैध हैं। प्रशासन को इन्हें तुडवाकर वहीं कुंभ के लिए जमीन आबंटित करनी चाहिए। उन्होेंने कहाकि अखाड़ा परिषद का कोई औचित्य नहीं है। कुंभ के संचालन के लिए सरकार को चाहिए की वह संतों की एक संचालन समिति बनाए और वहीं कुंभ सम्पन्न कराए। उन्होंने कहाकि अखाड़ा परिषद की आड लेकर कुछ संत केवल दवाब बनाकर प्रशासन से अपना उल्लू सीधा करवाने का कार्य कर रहे हैं। संतों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली अखाड़ा परिषद के किसी भी साधारण संत को न तो स्थान मिलता है और न ही कोई सुविधा। उन्होंने अखाड़ा परिषद को भूमाफिया और कुंभ माफिया संतों का गठजोड़ करार दिया। कहाकि अखाड़ा परिषद कोई पंजीकृत संस्था नहीं है। ऐसे में कुंभ मेले की चर्चा इनके साथ करने का भी कोई औचित्य नहीं है।