हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में अखाड़ा विरोधी भूरीवाले गुट का साथ छोड़कर पंजाब से आए निर्मल संप्रदाय के संतों का श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने शॉल ओढ़ाकर और फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान महंत हरजिंदर सिंह मटीली वाले, महंत इंद्रजीत सिंह व संत गुरप्रीत सिंह निर्मल अखाड़े में शामिल हुए।
इस अवसर पर निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि संत महापुरुष राष्ट्र की धरोहर हैं। जो अनादि काल से समाज का मार्गदर्शन कर नई दिशा प्रदान करते चले आ रहे हैं। निर्मल संप्रदाय के सभी संतांे के लिए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के द्वार सदैव खुले हैं। भ्रमवश अखाड़े से अलग हुए संत सच्चाई का पता लगने पर निरंतर अखाड़े में वापस लौट रहे हैं। जोकि अखाड़े के लिए हर्ष का विषय है। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि धर्म प्रचार करने का संकल्प लेकर सभी को अखाड़े की परंपराओं का निष्ठा के साथ निर्वहन करना चाहिए। निर्मल अखाड़े में शामिल हुए संत एकजुट होकर धर्म सेवा व मानव कल्याण में योगदान प्रदान करते हुए अखाड़े की परंपराओं को और मजबूत करेंगे। महंत सतनाम सिंह महाराज ने कहा कि श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की गौरवशाली परंपराएं विश्व विख्यात हैं। अखाड़े के संतों ने हमेशा ही देश, धर्म व मानव सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आशा है कि सभी संत एकजुट होकर मानव सेवा के लिए सदैव समर्पित रहेंगे। इस अवसर पर श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के संतों ने उत्तराखंड के नवनियुक्त राज्यपाल लेटिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने बताया कि निर्मल अखाड़े के संतों का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही नवनियुक्त राज्यपाल से मिलेगा और उनसे धर्म एवं संस्कृति के विषय पर चर्चा कर अखाड़े आने का निमंत्रण भी देगा। इस दौरान महंत सुखजीत सिंह, महंत परमिंदर सिंह, महंत अवतार सिंह, बाबा जगमोहन सिंह, बाबा संदीप सिंह, बाबा सुखप्रीत सिंह, महंत खेमसिंह, बाबा परमजीत सिंह, महंत निर्भय सिंह, ज्ञानी जैल सिंह, संत जसकरण सिंह, संत सुखमन सिंह आदि संतजन मौजूद रहे।