अपार्टमेंट बनाने के बाद अब बैटरी रिक्शा किराए पर चलाने तक की आ गयी नौबत
हरिद्वार। एक युग था जब संत परमात्मा की प्राप्ति के लिए ध्यान मग्न रहा करते थे। समय के साथ ध्यान के साथ यज्ञ-हवन, जुडे। इसके साथ कर्मकाण्ड आदि भी जुडते चले गए। अपनी प्रभुता दिखाने के लिए तंत्र-मंत्र का भी सहारा लिया गया। कुछ समय से संत का चोला मात्र शोबाजी और दिखावे की वस्तु रह गयी है। अब तो शोबाजी के साथ भगवाधारण करने वाले व्यापार में भी उतर आए हैं।
आम आदमी को मोह-माया से दूर रहने का उपदेश देने वाले कुछ कथित संतों ने अपनी आय का जरिया भोली-भाली जनता को बेवकूफ बनाने और व्यापार से कमायी करने का बना लिया है। अभी तक तो अखाड़ों की सम्पत्ति जमीन आदि बेचकर ये ऐश लूटने का कार्य कर रहे थे। उसके बाद अपार्टमेंट बनाकर इनके द्वारा दो के ग्यारह किए गए। विगत हरिद्वार कुंभ में तो एक अखाड़े के महंत ने भण्डारे की दक्षिणा से एक चार पहिया वाहन खरीदा और उसे ट्रेवल्स की दुकान पर लगाकर मोटी कमायी की। अब ऐसे भी संत पैदा हो गए हैं जिनकी बैटरी रिक्शा सड़कों पर किराए पर दौड़ रही हैं। बैटरी रिक्शा एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों। इन बैअरी रिक्शा से प्रतिदिन ये संत हजारों की कमायी कर रहा है। इतना ही नहीं कई आटो भी इस संत ने किराए पर चलाए हुए हैं। कई मामलों में यह जेल की हवा भी खा चुका है। खनन माफियाओं का समर्थन और विरोध दोनों की इसकेे द्वारा समय-समय पर किए जा चुके हैं। मतलब सिर्फ एक जो भी पैसा दे उसी के लिए यह धरने-प्रदर्शन करने को तैयार रहते हैं। वैसे यह अपने आप को बड़ा संत कहते हैं। किन्तु हकीकत क्या है यह जनता सब जानती है।