हरिद्वार। धार्मिक सम्पत्तियों के केन्द्र भूपतवाला स्थित कबीर पंथी आश्रम में विगत एक माह से धड़ल्ले से व्यवसायिक कॉम्पलेक्स का निर्माण बिना विभागीय अनुमति व नक्शा पास कराये सत्तारूढ़ दल के नेताओं के संरक्षण में जारी है। स्थानीय लोगों द्वारा विरोध जताये जाने के बाद हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण ने देर आये दुरूस्त आये की तर्ज पर बेशक निर्माणाधीन सम्पत्ति को सीज करने के आदेश जारी कर दिये हैं। बावजूद इसके विभाग की आंखों में धूल झोंकते हुए निर्माण कार्य चल रहा है।
अब तक 7 दुकानों का निर्माण हो चुका है जबकि पहले चरण में 9 दुकानें और बननी है और दूसरे चरण में इनके ऊपर 16 दुकानों का निर्माण होना है। सत्ता से जुड़े प्रभावी नेताओं द्वारा विभागीय नियमों को ताक पर रखते हुए जिस प्रकार से निर्माण कार्य कराया जा रहा है, उससे स्थानीय लोगों सहित यह मामला शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्व पार्षद तथा पूर्व सभासद वरिष्ठ भाजपा नेता मिलकर धार्मिक सम्पत्ति पर बिना नक्शा पास कराये जिस प्रकार व्यवसायिक कॉम्पलेक्स का निर्माण करा रहे हैं उससे क्षेत्र में भाजपा की खासी फजीहत हो रही है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के एक कदावर नेता, जो उसी क्षेत्र के ही निवासी है ने भी इस प्रकरण पर आंख मूंद रखी है। चर्चा है कि इस बाबत उक्त कांग्रेसी नेता से निर्माण कार्य से जुड़े भाजपा नेताओं की सांठ-गांठ हो चुकी है। जीरो टोलरेन्स की बात कहने वाली धामी सरकार की धज्जियां भाजपा के ही नेता खुलेआम उड़ा रहे हैं।
गौरतलब है कि उक्त कबीर पंथी आश्रम के स्वामित्व को लेकर विगत कई वर्षों से स्वामी प्रकाशानन्द व स्वामी सच्चिदानन्द के मध्य न्यायालय में विवाद चल रहा था जिसमें कुछ माह पूर्व ही दोनों पक्षों के मध्य समझौता होने की बात कही जा रही है। हालांकि स्वामी सच्चिदानन्द से जुड़ी साध्वी ने पुलिस प्रशासन को स्वामी सच्चिदानन्द के अपहरण के आंशका जताते हुए मुकदमा दर्ज कराया है, जिसके बाद मामला काफी गंभीर हो गया है। चूंकि स्वामी प्रकाशानन्द के सत्तारूढ़ दल के प्रभावी नेताओं से गहरे संबंध बताये जा रहे हैं और इन्हीं नेताओं के संरक्षण में उक्त निर्माण कार्य बदस्तूर जारी है। कहावत है कि सैया भये कोतवाल तो डर काहे का.. को चरितार्थ करते हुए सत्ता से जुड़े इन नेताओं ने समस्त विभागीय नियमों को ताक पर रखते हुए प्राधिकरण द्वारा सीज के आदेश करने के बावजूद निर्माण कार्य को अनवरत जारी रखा हुआ है। जिसके चलते आजकल यह मामला बेहद चर्चा का विषय बना हुआ है। भ्रष्टाचार की दलदल में भाजपा व कांग्रेस के नेता मिलकर गोते लगा रहे हैं।