मद्रास हाइकोर्ट के फैसले की तर्ज पर हरिद्वार के पुराने नियम लागू करने की उठाई मांग
हरिद्वार। सर्वानंद घाट पर शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने अपने शिष्यों के रक्त से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा। उनके साथ स्वामी सत्यवृतानंद तथा उनके शिष्य रामस्वरूपानंद, निर्भयानंद, नित्यानंद, रणसिंहानन्द, यतींद्रानंद, परमात्मानंद तथा अन्य सन्त भी उपस्थित थे।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र में लिखा कि मद्रास हाइकोर्ट ने हिन्दुओ के मंदिरों से गैर हिन्दुओ को दूर रखने का जो निर्णय दिया है, उसको सारे देश में लागू करना चाहिये। विशेष रूप से अयोध्या और हरिद्वार जैसे पवित्र नगरों में। जिस तरह से मुस्लिम धर्म के पवित्र नगर मक्का मदीना में गैर मुस्लिम नहीं जा सकता, उसी तरह से अयोध्या और हरिद्वार जैसे हमारे पवित्र तीर्थों में गैर हिन्दू का प्रवेश वर्जित होना चाहिये और हमारे तीर्थ, हमारे मन्दिर साधना और तप के केंद्र बनने चाहिए ना कि मौज मस्ती और पर्यटन के अड्डे। लिखा कि अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर बना हुआ मन्दिर हिन्दुआंे के संघर्ष और बलिदान तथा मुस्लिमांे के अत्याचार का प्रतीक है। इसे अगर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक बनाने का प्रयास हुआ तो यह धर्म और इतिहास के साथ विश्वासघात होगा। इस मंदिर में तो हर कीमत पर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित होना ही चाहिये।
उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को रक्तपत्र में लिखा कि हरिद्वार के लिये अंग्रेजों द्वारा बनाये गए नियमों को दोबारा से लागू करने का यह बहुत ही अच्छा अवसर है। धामी को यह ऐतिहासिक अवसर मिला है। वो हरिद्वार व देवभूमि को मुस्लिम मुक्त बना कर धर्म की बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं। महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि महाराज ने हिन्दू समाज से भी यह विचार करने का आग्रह किया कि क्यांे हिन्दुओ के तीर्थांे को ही पिकनिक का केंद्र बनाया जा रहा है।