कॉन्क्लेव का उद्देश्य हाइड्रोलॉजिक चुनौतियों का स्थायी समाधान खोजना है।
बबलू सैनी
रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की (आईआईटी रुड़की) राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की (एनएचआई रुड़की) के सहयोग से रुड़की जल सम्मेलन 2020 (आरडब्ल्यूसी) का आयोजन कर रहा है। इस द्वि वार्षिक आयोजन का पहला संस्करण आरडब्ल्यूसी 2020 बुधवार को आईआईटी रुड़की में शुरू हुआ। इसका समापन 28 फरवरी को होगा। आरडबल्यूसी-2020 के पहले संस्करण का विषय ‘हाइड्रोलॉजिकल आस्पेक्ट्स ऑफ क्लाइमेट चेंज’ है।
जलवायु परिवर्तन और जल संसाधनों पर उसके प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक हैं। कई अध्ययनों में यह अनुमान लगाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अगले सौ वर्षों में वैश्विक तापमान बढ़ जाएगा। यह जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को और अधिक प्रासंगिक बनाता है। जल संसाधन की कमी का वैश्विक प्रभाव पड़ने की संभावना है। लेकिन, विकास के शुरुआती दौर से गुजर रहे देशों पर इस जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव हो सकता है, क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था मुख्यतया कृषि पर निर्भर होती है।
केन्द्रीय जल आयोग, जलशक्ति मंत्रालय, जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा रेजुवनेशन, भारत सरकार के अध्यक्ष आर.के. जैन उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि थे। महानिदेशक, एनएमसीजी, और अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी सहित कई गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र के दौरान जल संसाधनों के बेहतर उपयोग पर सरकार के संकल्प के बारे में बोलते हुए आर.के. जैन ने देश में जल संसाधन प्रबंधन की समस्या पर जोर दिया। उन्होंने कहा, केवल 2.4 प्रतिशत भूमि क्षेत्र होने के बावजूद भारत के पास दुनिया के ताजे पानी के संसाधनों का लगभग चार प्रतिशत है। यह भारत को वैश्विक औसत की तुलना में एक बेहतर स्थिति प्रदान करता है। जहां तक पानी की बात है तो उच्च जनसंख्या, अस्थायी और अत्यधिक परिवर्तनशीलता के कारण, हम बहुत अधिक दबाव का सामना कर रहे हैं। पुरानी योजनाएं और अनुमान पूरी तरह विफल रहे हैं। जल संसाधनों पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को देखते हुए हमें आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए नए तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है।
विशिष्ट विजिटिंग प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की और गेस्ट ऑफ ऑनर ने कॉन्क्लेव के अध्यक्ष प्रो. वी. पी. सिंह ने कहाकि यह श्रृंखला रुड़की के उत्कृष्ट और समृद्ध संस्कृति को बढ़ाने और बनाए रखने में योगदान देगा। एनआईएच रुड़की के निदेशक डॉ. शरद के. जैन ने कहाकि प्रत्याशित ग्लोबल वार्मिंग और पेयजल स्रोत पर इसका परिणामी प्रभाव एक गंभीर चुनौती है, जिसका वैश्विक आबादी पर व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी ने कहाकि आरडब्ल्यूसी का पहला दिन थीम पर केंद्रित था और मुझे खुशी है कि भारत तथा दुनियाभर से आए विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये।