भगवान को मॉस्क पहनाकर कोरोना से बचाने की बात कहना अश्रद्धा
हरिद्वार। वैश्विक महामारी कोरोना से लगभग सभी देश परेशान हैं। लाखों लोग इस संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं और लाखों लोग संक्रमित हैं। अभी तक इस रोग की कोई दवा नहीं बन पायी है। हालांकि चिकित्सक मरीजों के उपचार में लगे हुए हैं। वहीं आयुर्वेद में भी कोरोना संक्रमण से बचने के लिए तरह-तरह के नुस्खे बताए जा रहे हैं। किन्तु सटीक इलाज का अभी भी अभाव है। ऐसे में लोग भगवान से ही कोरोना से मुक्ति केे लिए दुआ मांग रहे हैं। कई स्थानों पर कोरोना मुक्ति के लिए अनुष्ठान किए जा रहे हैं तो कई लोग जप-तप का सहारा भी ले रहे हैं। मंदिरों के कपाट खुलने के बाद मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में भी कोरोना से निजात के लिए प्रार्थनाएं की जा रही हैं। इससे स्पष्ट है कि भगवान ही अब कोरोना से मुक्ति का एकमात्र सहारा है, जब तक की इस संक्रमण की कोई दवा नहीं मिल जाती।
मजेदार बात यह कि जिस भगवान के दर पर कोरोना मुक्ति के लिए लोग प्रार्थना करने के लिए जा रहे हैं, उस भगवान को ही कोरोना का संक्रमण न हो जाए कुछ कथित भक्त इस संशय में भी हैं। जिसके चलते भगवान को सेनेटाइज किया जा रहा है। साथ ही भगवान को मास्क लगाए जा रहे हैं। यह विचित्र बात है कि जिस भगवान से कोरोना मुक्ति के लिए प्रार्थना की जा रही है। जिसे हम सर्वेश्वर मानते हैं। उसे ही कोरोना से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं। ऐसा कर कहीं न कहीं हम इस बात को स्पष्ट करते हैं कि भगवान सर्वेश्वर नहीं है। यदि वह सर्वेश्वर है तो उसे कोरोना का खतरा कैसे हो सकता है। यदि भगवान को कोरोना हो सकता है तो वह सर्वेश्वर नहीं हो सकता और उससे कोरोना मुक्ति के लिए प्रार्थना करना बेकार है।
व्यक्ति को यथार्थ में जीना चाहिए। जो दुखभंजन है उसे कैसे कोई कष्ट हो सकता है। लोग पाखंड में जी रहे हैं। तिरूपति बाला जी मंदिर में भगवान की हुंडी में लाखों रुपये का प्रतिदिन चढ़ावा आता है। भगवान तो सबको देने वाला है उसे अपने काम के लिए रिश्वत देना कहां उचित है। ऐसे ही भगवान को मास्क लगाकर पाखंड को उचित नहीं कहा जा सकता। कष्टो से मुक्ति के लिए केवल आवश्यकता है श्रद्धा और प्रेम की। जो श्रद्धा और प्रेम से भगवान को भजता है उसके सभी कष्टों का स्वंतः ही नाश हो जाता है। कोरोना से मुक्ति के लिए श्रद्धा से प्रार्थना करना उचित है। भगवान को मास्क पहनाकर उन्हें कोरोना मुक्ति से बचाने की बात कहना भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा नहीं हो सकती।
बाबा बलराम दास हठयोगी
राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिल भारतीय संत समिति