हरिद्वार। श्री गंगा सभा के पूर्व महामंत्री राम कुमार मिश्रा ने कहाकि कोरोना संक्रमण शुरू होने के समय जनहानि को रोकने के लिए सरकार ने अन्य व्यवसाय के साथ-साथ होटलों को भी बंद करने के आदेश पारित किए थे।
कोरोना संक्रमण के कारण अन्य व्यवसाय जो पूर्णतया बंद थे उनको आर्थिक गतिविधि को गति देने के लिए धीरे-धीरे सरकार द्वारा अपनी गतिविधियां शुरू करने की अनुमति दी गई है। उत्तराखंड सरकार द्वारा होटलों के लिए जो दिशा निर्देश जारी किए गए हैं उसमें आने वाले यात्री को होटल में 1 सप्ताह तक ठहरना अनिवार्य होगा। अगर कोई यात्री कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो उसकी जिम्मेदारी होटल संचालक की होगी। यात्री होटल से बाहर नहीं जाएगा। उसकी जिम्मेदारी भी होटल व्यवसाई की होगी। कहाकि अभी पिछले दिनों दिल्ली से आ रहे एक रेल यात्री को रुड़की आकर उसकी कोरोना मेडिकल रिपोर्ट पॉजिटिव आने की जानकारी मिली। उसके द्वारा संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया गया। उसका रेलवे स्टेशन पहुंचने पर स्वागत किया गया और उसको नियमों के अनुसार क्वारन्टीन किया गया। श्री मिश्रा ने कहाकि क्या इस कोरोना पॉजिटिव यात्री को लाने वाला रेल प्रशासन जिम्मेदार नहीं था कि वह कोरोना पॉजिटिव को लेकर आया। जबकि दिल्ली स्टेशन पर सरकार की और से जांच की पूर्ण व्यवस्था की गई है।
दिल्ली से हरिद्वार तक टिकट चेकर व जितने भी स्टेशन बीच में आए उनकी जिम्मेदारी क्यों नहीं मानी गई। उनके खिलाफ क्यों एक्शन नहीं लिया गया। कहाकि जब सरकारी अमला सुविधाओं के बाद इतनी बड़ी चूक कर सकता है फिर यदि होटल में आने के बाद कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित मिलता है तो उसका जिम्मेदार होटल संचालक क्यों हो। उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहाकि सारे नियम कानून होटल संचालकों के ऊपर लागू क्यों हैं। कहाकि सरकार ने परिवहन सेवा शुरू करने की बात कही है। अगर यात्रा के समय या बाद में कोई यात्री कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। ड्राइवर की या कन्डेक्टर की या फिर बस टेक्सी के मालिक की सरकार को इन बातों को स्पष्ट करना चाहिए।
कहाकि हरिद्वार, नैनीताल, मसूरी आदि धार्मिक, पर्यटन स्थलों के होटल किसी बड़ी होटल चेन से जुड़े हुए नहीं हैं। जो होटल व्यवसाय के बंद होने की मार झेल पायेंगे। कहाकि सरकार एक तरफ मध्यम वर्ग को जीवित रहने के लिए आर्थिक सहयोग कर रही है वहीं दूसरी और यह आदेश भी कर रही है की लॉकडाउन के समय कर्मचारियों का वेतन भी व्यवसायी को देना होगा। ऐसे में होटल व्यवसायी कैसे बिना व्यवसाय के आर्थिक बोझ को उठा पाएगा, सरकार को इस पर भी विचार करना चाहिए।