1 साल बाद हुई नगर निगम की बोर्ड बैठक में पार्षदों ने मेयर को सुनाई खरी खोटी, मात्र तीन प्रस्तावों पर लगी मुहर

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रुड़की/संवाददाता
शुक्रवार को नगर निगम बोर्ड की लम्बे समय बाद बैठक आयोजित की गई। जिसमें महापौर गौरव गोयल को पार्षदों का भारी विरोध झेलना पड़ा। इस बोर्ड बैठक में 200 प्रस्ताव रखे गये, जिनमें मात्र 3 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुये। पार्षदों ने सबसे ज्यादा रोष इस बात पर जताया कि एक वर्ष के बाद बोर्ड बैठक आयोजित की गई। इस दौरान पार्षदों ने उन्हें खरी-खोटी भी सुनाई। इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि कुछ पार्षद महिलाओं के साथ नाराज होकर बोर्ड बैठक से वॉकआउट कर गये और उन्होंने मेयर के खिलाफ जोरदार नारेबाजी भी की। हालांकि कुछ देर बाद नाराज पार्षदों को दोबारा से बोर्ड बैठक में मुख्य नगर आयुक्त नूपुर वर्मा द्वारा आमंत्रित किया गया। इस दौरान महापौर गौरव गोयल ने कहा कि पार्षद बोर्ड बैठक में देरी होने के कारण नाराज थे और कोरोना काल के चलते बोर्ड बैठक का आयोजन करने में देरी हुई। वहीं महापौर गौरव गोयल ने सभी पार्षदों से कहा कि भविष्य में इसका ध्यान रखा जायेगा। साथ ही कहा कि सभी की महत्वकांक्षाएं पूरी नहीं की जा सकती।
बताया यह भी गया है कि एक सभागार के उपरी छोटे से कमरे में बोर्ड बैठक की रणनीति मेयर गौरव गोयल द्वारा बनाई गई थी, ताकि किसी को कुछ पता न चल सकेें। लेकिन वही हुआ, जिसके वह वास्तविक हकदार थे। केवल अपना उल्लू सीधा करना उनकी फितरत हैं और इसमें वह कामयाब नहीं हो पाये। क्योंकि पार्षद उन्हें नजदीक से जान चुके हैं। वहीं पार्षद बेबी खन्ना ने महापौर से साफ कहा कि तुम यहां अकेले नहीं हो, 40 पार्षद भी हैं। उनका ध्यान रखना तुम्हारी जिम्मेदारी हैं। इस पार्षद बेबी खन्ना ने कुछ प्रस्ताव पारित करने की भी बात कही, लेकिन अन्य पार्षदों ने इसका जमकर विरोध किया। वहीं पार्षद विवेक चौधरी ने कहा कि मेयर के पास 30 पार्षद भाजपा के हैं, बावजूद इसके बोर्ड का आयोजन करने में इतना लम्बा समय क्यों लग गया। यह आपकी कार्यशैली पर सवालियां निशान उठाता हैं। साथ ही उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कभी भी मेयर ने नये वार्डो के विकास को लेकर पार्षदों से रायशुमारी नहीं ली। जो एक गम्भीर विषय हैं। इसकी पूरी जिम्मेदारी मेयर पर निर्भर करती हैं।
वहीं पार्षद नितिन त्यागी ने कहा कि उनके द्वारा मेयर को हाउस टैक्स पर विचार करने के  लिए मौखिक व लिखित रुप से कहा गया, लेकिन मेयर अपनी मनमानी करते रहे। उन्हें जनता की समस्या से कोई सरोकार नहीं रह गया हैं। बोर्ड बैठक में महिला पार्षदों ने भी मेयर पर अपना गुस्सा निकाला और कहा कि उन्हें भी अपनी बात रखने का पूरा अधिकार हैं, जिस पर मेयर उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये। वहीं पार्षद चन्द्रप्रकाश बाटा ने कहा कि नगर निगम में निर्माण कार्यो में भारी कमीशन मांगा जाता हैं, जिसे बंद किया जाये। बाद में सभी पार्षदों ने एक राय होकर आगामी 19 मार्च को बोर्ड बैठक दोबारा आयोजित करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी ने सर्वसम्मति से सहमति जताई।
बहरहाल कुछ भी हो, जिस प्रकार मेयर गौरव गोयल आज  की बोर्ड बैठक में अपने मंसूबे लेकर पहंुचे थे, वह तो पूरे नहीं हो पाये। अलबत्ता उनकी जो किरकिरी हुई, उसे वह लम्बे समय तक नहीं भूल पायेंगे। बैठक में जब उनकी एक न चली, तो वह मन मसोशकर रह गये।

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