जून के अन्तिम सप्ताह में परिषद की तीन दिवसीय बैठक में होगी विस्तृत चर्चा
हरिद्वार। महाकुम्भ 2021 को लेकर अनिश्चय का वातावरण बना हुआ है। वैश्विक महामारी कोरोना के चलत जहां सरकार तथा प्रशासन असमंजस की स्थिति मेमं हेै,वही कुछ साधु-संतांे की कुम्भ मेला स्थगित करने की बात कर रहे है। इन चर्चाओं को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने स्थिति साफ कर दी है।
अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि तथा राष्ट्रीय महांमत्री श्रीमहंत स्वामी हरि गिरि ने प्रदेश सरकार को दो टूक कह दिया है कि कुम्भ मेला 2021 अपनी घोषित तिथियों पर ही होगा। तीन दिन पूर्व श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से देहरादून में मुलाकात कर अखाड़ा परिषद के निर्णय से अवगत भी करा दिया है। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा है कि कुम्भ मेला हमारी हिन्दू सनातन परम्पराओं की अटूट आस्था का पर्व है। हजारों वर्ष की परम्परा में आज तक यह परम्परा आज तक नहीं टूटी है और कुम्भ महापर्व अपने नियत समय ही होते आए है। उन्हांेने कहाकि ग्रहों के परस्पर संक्रमण और गति के कारण अनादिकाल से पर्वांे का आयोजन होता आया है। मुगलकाल तथा ब्रिटिशकाल में भी कई आपदाएं आने के बावजूद कुम्भ मेले अनवरत होते आए है। इसलिए किसी भी कीमत पर कुम्भ पर्व स्थगित या टाला नही जा सकता है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने कहा कि कुम्भ अगले वर्ष 2021 मे जनवरी से प्रारम्भ होगा। उस समय जो परिस्थति होगी, उसी के अनुसार सरकार और प्रशासन की गाइडलाईन के अनुरूप निर्णय किया जायेगा। किसी भी अपरिहार्य स्थिति में मेला प्रशासन तथा सरकार की सहमति से ही अखाड़ा परिषद निर्णय लेगी। श्रीमहंत हरि गिरि ने कहा कि अखाड़ा परिषद की इस विषय को लेकर जून के अन्तिम सप्ताह में अत्यंत महत्वपूर्ण तीन दिवसीय बैठक होने जा रही है। जिसकी अन्तिम तिथि सरकार और मेला प्रशासन से विचार विमर्श कर तय की जायेगी। इस बैठक में कुम्भ मेले को लेकर सभी पहलूओं पर गंभीर विचार विमर्श कर प्रस्ताव पारित किये जाऐंगे तथा इन प्रस्तावों पर मुख्यमंत्री से चर्चा कर ठोस निर्णय लिया जायेगा।
कुम्भ मेला 2021 को लेकर देश के कई संतों, महामण्डलेश्वरों ने भी इसका समर्थन किया है। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने कहा है कि कुम्भ मेला अपने नियत समय पर ही सम्पन्न होगा। परिस्थितियों के अनुरूप प्रतीकात्मक स्नान या विकल्प भी हो सकता है। लेकिन सनातन परम्पराओं को टूटने नहीं दिया जायेगा। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामण्डलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी, पंजाब के जगद्गुरू महामण्डलेश्वर श्रीमहंत पंचानंन्द गिरि, गुजरात के महामण्डलेश्वर महेन्द्रानंद गिरि, महाराष्ट्र के महामण्डलेश्वर शिवगिरि, महामण्डलेश्वर कृष्णानंद गिरि आदि ने भी अखाड़ा परिषद के निर्णय का समर्थन करते हुए कहाकि कुम्भ मेला निश्चित रूप से अपने निर्धारित समय पर ही आयोजित होगा। इस सन्दर्भ में अखाड़ा परिषद जो भी निर्णय लेगी,समस्त अखाड़े व साधु समाज उसका