पुरानी अदावत के चलते कुंभ को बनाया हथियार
अध्यक्ष ने साध्वी त्रिकाल भवंता को बताया फर्जी, महामंत्री ने नरेन्द्रानंद का शंकराचार्य के रूप में किया स्वागतहरिद्वार। यूं तो संत सभी का होता है। उसके लिए सभी समान होते हैं। संन्यासी की परिभाषा में भी कहा गया है कि जो सम्यक है वही संन्यासी है। जहां सम्यक रूप समाप्त होता है, वहां संन्यास भी […]
Continue Reading