हरिद्वार। धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में श्री गुरू मण्डल आश्रम की गौरवशाली परम्परा रही है। आश्रम में नवनिर्मित लोकसंस्कृति भवन को अपने गुरू ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज को समर्पित कर गुरू के प्रति जो कृतज्ञता महामण्डलेश्वर स्वामी भगवतरूवरूप महाराज ने व्यक्त की है, वह गुरू शिष्य परम्परा का अनुपम उदाहरण है। उक्त उद्गार मंगलवार को योगगुरू बाबा रामदेव महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज के षष्ठम निर्वाण महोत्सव तथा आश्रम में निर्मित गुरूदेव लोक संस्कृति भवन के लोकापर्ण अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने घोषणा की कि पंतजलि योगपीठ के तत्वावधान में भवन में जल्द ही योग शिविर का आयोजन किया जाएगा। समारोह को संबोधित करते हुए बाबा रामदेव ने लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतने तथा योग व प्राणायाम करने की सलाह दी। कहाकि योग, प्राणायाम, ध्यान और आयुर्वेद कोरोना से बचाव में कारगर है। उन्होंने कहा कि मानवीय गलतियों के चलते प्रकृति के क्षरण के कारण वातावरण में तमाम तरह के संक्रमण फैल रहे हैं। संक्रमण को रोकने के लिए आध्यात्मिक संस्कृति का विकास और प्रकृति का संरक्षण ही एक मात्र उपाय है। उन्होंने कहा कि जब संत उनसे पूछते हैं कि आप किस अखाड़े हैं तो मैं कहता है कि मैं श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन से हूं। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आश्रय व आलम्बन प्रदान करने वाले अपने गुरू ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज के प्रति स्वामी भगवतस्वरूप महाराज की आस्था व विश्वास अनुकरणीय है। लोकसंस्कृति भवन को अपने गुरूदेव को समर्पित कर उन्होंने गुरू की महानता को प्रतिष्ठित किया है। महंत देवेंद्रदास महाराज ने कहा कि गुरू मण्डल आश्रम संत महापुरूषों की तपोभूमि है। सेवा की साक्षात प्रतिमूर्ति ब्रह्मलीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए कार्ष्णि पीठाधीश्वर स्वामी गुरूशरणानंद महाराज ने कहा कि साधुता के श्रेष्ठ प्रतीक स्वामी भगवतस्वरूप ने अध्यात्मिक रूप से उन्नत गुरू मण्डल आश्रम गुरू शिष्य परंपरा को सुदृढ़ किया है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। स्वामी भगवतस्वरूप ने सभी का आभार व्यक्त किया। संतों ने विधायक आदेश चौहान, कुंभ मेला अधिकारी, दीपक रावत व अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह को फूलमालाएं पहनाकर व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। महंत कमलदास, स्वामी सर्वज्ञ मुनि, स्वामी केशवानंद, महंत निर्मलदास, महंत दामोदर दास, महंत राघवेंद्रदास, महंत ललितानंद गिरी, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, महंत जयेंद्र मुनि, महंत गोविंददास, महंत जगदीशदास, महंत आनन्द भास्कर, महंत प्रकाश मुनि आदि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष व श्रद्धालु मौजूद रहे।