पीड़िता ने आडियों रिकाॅर्डिंग आवाज का नमूना देने से किया इनकार
दुष्कर्म के नहीं मिले कोई साक्ष्य, साथी महिलाओं ने भी किया घटना से इंकार
हरिद्वार। दुष्कर्म मामले में पुलिस ने जांच के बाद शांतिकुंज प्रमुख को क्लीनचिट दे दी है। पुलिस के मुताबिक दुष्कर्म के कोई साक्ष्य न मिलने तथा एक आडियों रिकार्डिगं सहित अन्य साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने मुकदमे में एफआर लगा दी है। पीड़िता की आडियों रिकाॅर्डिंग आवाज की मिलान के लिए पुलिस ने चार बार नोटिस भेजा पर उसने नमूना देने से इनकार कर दिया। इसके अलावा घटना के समय पीड़िता के साथ रहने वाली महिलाओं ने भी दुष्कर्म की घटना होने से इनकार किया है। शांतिकुंज प्रमुख डाॅ. प्रणव पंडया पर छत्तीसगढ़ निवासी पीड़िता ने वर्ष 2010 में अपने कमरे में बुलाकर दुष्कर्म का आरोप लगाया था और दिल्ली के विवेक विहार थाने में तहरीर देकर 05 मई 20 को मुकदमा दर्ज कराया था। दिल्ली से मुकदमा स्थानांतरण होकर नगर कोतवाली में दर्ज हुआ था। एसएसपी सेंथिल अवूदई कृष्णराज एस की ओर से तत्कालीन सीओ सिटी डाॅ. पूर्णिमा गर्ग, कोतवाली रानीपुर प्रभारी निरीक्षक योगेश सिंह देव, महिला हेल्प लाइन प्रभारी मीना आर्या को शामिल कर एक टीम बनाई थी।पुलिस सूत्रों के अनुसार टीम ने शांतिकुंज आकर घटना से संबंधित जानकारी बारिकीं से जांच करने के बाद वर्ष 2010 में 14 वर्षीय पीड़िता के साथ रहने वाली 38 महिलाओं के घर के पते के बारे में जानकारी जुटाकर छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में जा कर उनके बयान दर्ज किए थे, किसी भी महिला ने उस दौरान पीड़िता के साथ दुष्कर्म की घटना होने से इंकार किया था। जांच के दौरान पुलिस टीम को जून में पीड़िता की एक किसी से बात करते हुए आडियों रिकाॅर्डिंग प्राप्त हुई थी, जिसमें पीड़िता के द्वारा अपने साथ कोई दुष्कर्म न होने की बात कही गयी थी। जांच टीम ने पीडिता को आवाज का नमूना लेने के लिए उससे चार बार नोटिस तामिल कराया गया, लेकिन उसके बावजूद पीडिता अपना आवाज का नमूना उपलब्ध् कराने नहीं पहुंची। जिसके सम्बंध् में जांच टीम ने न्यायालय के समक्ष सभी साक्ष्यों को रखते हुए पीडिता के आवाज नमूना न देने की भी जानकारी दी गयी। जिसपर 08 अक्टूबर 20 को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर पीड़िता ने डाॅ. प्रणव पंडया की गिरफ्रतारी की मांग की थी। जिसपर न्यायालय ने पीडिता से आवाज का नमूना देने को कहा गया, लेकिन पीडिता ने आवाज देने से इंकार कर दिया। जांच के दौरान पुलिस टीम ने पाया कि वर्ष 2013 में पीड़िता ने शांतिकुंज से चले जाने की बात कही थी, दुष्कर्म की घटना के बाद भी पीड़िता ने वर्ष 2015 वह वर्ष 2016 में शांतिकुंज में सात-सात दिन के तीन शिविर किए थे, दुष्कर्म की घटना के बाद भी तीन बार शांतिकुंज में शिविर करना जांच टीम को गले से नीचे नहीं उतरा। जांच के दौरान इन तमाम बिंदुओं पर जांच करते हुए पुलिस टीम ने सारे तथ्य एकत्रित करने के बाद मुकदमे में एफआर लगा दी है जिसे वह जल्द ही कोर्ट में पेश करेगी।