हरिद्वार। मकर संक्रांति का पर्व तीर्थनगरी में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। इसी के साथ कुंभ पर्व का भी धार्मिक दृष्टि से आगाज हो गया। हालांकि अभी सरकार द्वारा कुंभ का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। मकर संक्रांति सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का पर्व है। धनु राशि से मकर राशि में सूर्य का प्रवेश सभी राशियों को प्रभावित करता है। आज के दिन सूर्य और शनि दोनों की कृपा प्राप्त होती है। मकर संक्रांति से सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर गए।
इस मौके को काफी खास माना जाता है। आज के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व माना जता है। माना जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान कर तिल व खिचडी और गर्म कपडे आदि का दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। हरिद्वार में स्नान के चलते पुलिस द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए मेला क्षेत्र को 7 जॉन और 20 सेक्टरों में बांटा गया। श्रद्धालुओं ने गंगा में पुण्य की डुबकी लगायी। तड़के से आरम्भ हुआ स्नान का सिलसिला दिन भर अनवरत चलता रहा। हरकी पैड़ी पर मेला प्रशासन ने कुंभ की तर्ज पर व्यवस्था की थी। हरकी पैड़ी पर चारों और बड़ी तादाद में पुलिस तैनात की गई थी। हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान करने के लिए भारत के विभिन्न प्रांतों राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के अलावा नेपाल से भी बड़ी तादाद में लोग गंगा में स्नान करने आए मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने के लिए आए।
पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि का कहना है कि मकर संक्रांति विशेष पर्व है। मकर संक्रांति पर सूर्य का राशि परिवर्तन, सूर्य का धनु राशि छोड़कर अपने पुत्र शनि देव की राशि में संक्रमण को मकर संक्रांति कहते हैं। उनके अनुसार आज के दिन से ही वह दशा बन जाती है, जिससे कुंभ का आरंभ माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही मकर राशि में सूर्य जो अपने पुत्र शनि से सदैव नाराज रहते थे। वे आज के ही दिन अपनी नाराजगी भूलकर अपने पुत्र के घर गए थे तभी से मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य देव और शनि देव दोनों की कृपा आज के दिन लोगों को प्राप्त होती है। आज के दिन के बाद से किसी भी प्रकार के सामाजिक शुभ कार्य हैं वो आरंभ होने का समय है। आज से ही सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही अयन भी बदल जाता है। ऋतु भी बदलनी शुरू हो जाती है। सर्दी कम होनी शुरू हो जाती है। आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है। आज के दिन ही कपिल मुनि के आश्रम को छोड़कर गंगा सागर में विलीन हो गई थी।
बताया कि गंगा भगवान शंकर की जटाओं से निकल कर विष्णु के चरणों में जाकर समाप्त हो गई थी। अपने पूरे कार्य की इतिश्री कर दी थी। इसी के साथ-साथ आज के ही दिन सभी देवी-देवता भी स्वयं गंगा में स्नान करने के लिए आते हैं। क्योंकि उन्होंने समय-समय पर मानव रुप अवतार लिए हैं। उन अवतारों की पूर्णता के लिए आज के दिन स्नान करते हैं। जो व्यक्ति आज के दिन गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान करता है उस व्यक्ति को ईश्वरों का साक्षात सानिध्य प्राप्त होता है। वो निरोगी बनता है और उसके सारे मनोरथ पूरे होते हैं। इसी कारण से आज तीर्थनगरी में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
कोहरे और ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं ने गंगा के घाटों पर स्नान कर पुण्य की डुबकी लगायी। इसके साथ ही देव डोलियों को भी पहाड़ों से लाकर गंगा स्नान कराया गया। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन देव डोलियों को स्नान कराने से देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। ऐसी मान्यता है की मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने के उपरांत तिल और खिचड़ी के साथ वस्त्रों का दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने श्रद्धालुओं से कोरोना गाइडलाइन का पालन स्नान के दौरान कराया। साल के पहले बड़े स्नान पर्व के मौके पर हरिद्वार पुलिस, कुंभ मेला पुलिस और हरिद्वार जिला प्रशासन सतर्क नजर आया। हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर ने बताया कि मेले के दृष्टिगत व्यवस्थाएं पूरी हैं। साल का सबसे बड़ा पहला स्नान हरिद्वार में मकर सक्रांति के रूप में आज आयोजित किया जा रहा है।