मन की चंचलता मनुष्य के दुखों का कारणः सत्यनारायण

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गुरुकुल कांगड़ी विवि में वेबिनार का आयोजन
हरिद्वार।
मन की चंचलता मनुष्य के दुखों का कारण है और मन की चंचलता पर नियंत्रण पाना सामान्य जन के लिए संभव नहीं है। परन्तु इसके प्रभाव से व्यवहार मे होने वाले परिवर्तन तथा उन परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाली स्थिति का नाम चिंता है। ये वैज्ञानिक तथ्य उस्मानिया विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक प्रो. वी. सत्यनारायण ने वेबिनार के अवसर पर वीडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मनोविज्ञान आज की आवश्यकता विषय पर व्यक्त किये। प्रो. सत्यनारायण गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार सीरिज के दूसरे संस्करण के अवसर विशेषज्ञ के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मनोवैज्ञानिक शोध के माध्यम से यह सिद् हुआ है कि चिंता के सही रूप तथा स्थिति को न समझ पाने के कारण एंग्जायटी, फियर, फ्रस्टेशन, कान्फलिक्ट, स्टेस, अवसाद जैसी मनोवैज्ञानिक व्याधिया उत्पन्न होती हैं। जो व्यक्ति के अस्तित्व के लिए हानिकारक हैं। इनके उपचार तथा बचाव के लिए उन्होंने जीवन को वास्तविकता से परिचित कराते हुए तथा ओटोजेनिक टेनिंग के माध्यम से जीवन शैली मे बदलाव लाकर इनके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। वेबिनार के संयोजक डा. शिवकुमार चौहान ने वेबिनार का संचालन करते हुए बताया कि जीवन मे होने वाले ऊतार-चढ़ाव से स्थितियां बदलती रहती हैं। इसलिए स्थितियों से प्रत्येक दशा में तालमेल बनाना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि इस वेबिनार मंे मदुरई, वारंगल, बिहार, म.प्र., दिल्ली, मेरठ, मुजफरनगर, सहारनपुर, देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार के 52 लोगों के अलावा विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी तथा एमपीएड छात्रों ने भाग लिया। वेबिनार के डायरेक्टर एवं छात्र कल्याण के डीन प्रो. आरकेएस डागर ने इस प्रकार के आयोजन के द्वारा छात्रों को नई शिक्षा व्यवस्था के अनुसार स्वंय को ओर अधिक साधन सम्पन्न बनाने पर बल दिया। उन्होंने प्रो. वी सत्यनारायण का इस सीरिज के लिए सहमति प्रदान करने पर आभार ज्ञापित किया।

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