रुड़की/संवाददाता
राष्ट्रीय मानवाधिकार कमेटी के चैयरमेन एवं सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज डॉ. आनंद वर्द्धन ने यूपी में गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर को फेक मानते हुए एक जनहित याचिका माननीय उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। दायर याचिका पर माननीय उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने यूपी के कानपुर में हुए विकास दुबे के फेक एनकाउंटर केस की सुनवाई करते हुए सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई और निम्नलिखित आदेश पारित करते हुए विभिन्न बिंदुओं पर जवाब मांगा।
विदित हो कि राष्ट्रीय मानवाधिकार कमेटी के चीफ नेशनल कन्वीनर डॉ. आनंद वर्धन व अन्य लोगों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में एक रिट पिटिशन फाइल की थी, जिसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। जिसकी सुनवाई आज सोमवार को हुई। जिसमें कमेटी के चीफ कन्वीनर डॉक्टर आनंद वर्धन पूर्व जज के साथ ही अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता संजय गुप्ता, मोहम्मद आदिल अफरीदी, कैलाश पांडे एडवोकेट, श्रीमती संजया शर्मा दिल्ली शामिल हुए। मानव अधिकार कमेटी उत्तराखंड के डिप्टी कन्वीनर मोहम्मद आदिल फरीदी ने बताया कि इस केस की अगली सुनवाई 22 जुलाई को पुनः सुप्रीम कोर्ट में होगी। उन्होंने बताया की माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित आदेश पारित करके राज्य सरकार को उन्हें तत्काल लागू करने के निर्देश दिए हैं:- जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विकास दुबे की घटना पूरे सिस्टम की विफलता हैं, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार पर उठाए कई सवाल, साथ ही पूछा कि इतनी वारदात करने के बाद भी जमानत पर बाहर कैसे था विकास दुबे, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के साभी आदेश मांगे, सुप्रीम कोर्ट की यूपी सरकार को नसीहत कहा कानून के शासन को मजबूत कीजिए, पुलिस का मनोबल नहीं गिरेगा। वही सीएम व डिप्टी सीएम के ब्यानों के बाद कुछ हुआ तो गौर करने की बात होगी। वही एनएचआरसी के चैयरमेन डॉ. आनंद वर्द्धन ने यूपी सरकार से मांग की कि जांच कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और एक रिटायर्ड पुलिस अफसर को भी शामिल किया जाए।