बीआईएस के साथ आईआईटी रुड़की ने किया एमओयू साइन, सिविल, मैकेनिकल व बुनियादी ढांचे के विकास आदि क्षेत्र में होगा सहयोग

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रुड़की/संवाददाता
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने समानता और पारस्परिक सहयोग के आधार पर स्टैंडर्डैजेशन एंड कन्फॉर्मटी असेस्मेंट के क्षेत्रों में सहयोग के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के साथ एक एमओयू (MOU) पर हस्ताक्षर किया। इस एमओयू (MOU) के तहत दोनों संस्थान सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, केमिकल, भूकंप इंजीनियरिंग, जल संसाधनों के विकास, प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी और नैनोटेक्नोलॉजी, बायोमटिरीअल आदि के क्षेत्र में सहयोग करेंगे। हम भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के साथ सहयोग और स्टैंडर्डैजेशन एंड कन्फॉर्मटी असेस्मेंट सुनिश्चित करने के देश के प्रयास में योगदान करने पर खुश हैं। इस दौरान छात्रों को इंजीनियरिंग के विभिन्न विषयों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के बारे में अधिक जागरूक करने के लिए भी काम किया जाएगा। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि
एमओयू (MOU) के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए दोनों संस्थान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्यूरो की तकनीकी समितियों के माध्यम से मानकीकरण गतिविधि में भाग लेंगे। इसके साथ ही स्टैंडर्डैजेशन एंड कन्फॉर्मटी असेसमेंट से संबंधित अनुसंधान और विकास परियोजनाएँ शुरू करेंगे। संयुक्त रूप से सेमिनार, सम्मेलन, कार्यशाला, व्याख्यान और स्टैंडर्डैजेशन एंड कन्फॉर्मटी असेस्मेंट से संबंधित पब्लिकेशन और साहित्य भी साझा किया जाएगा। ब्यूरो आईआईटी रुड़की में स्टैंडर्डैजेशन और कन्फॉर्मटी असेस्मेंट के क्षेत्र में एक पीठ स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। आईआईटी रुड़की एक उत्कृष्ट संस्थान है, जो प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में अपनी विशेषज्ञता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। राष्ट्रीय मानक निकाय के रूप में हम राष्ट्रीय मानकीकरण को और उन्नत करने की दिशा में उनकी यात्रा में भागीदार बनकर खुश हैं। हम मानकों को बढ़ावा देने और पाठ्यक्रम के साथ उसको जोड़ने के लिए सहयोग करने को लेकर उत्सुक हैं। बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि समझौता ज्ञापन के अनुसार, गोपनीय जानकारी, तकनीकी जानकारी, पेटेंट जैसी बौद्धिक संपदा का स्वामित्व इसके विकास के लिए जिम्मेदार संस्था के साथ निहित होगा। संयुक्त रूप से संपत्ति को विकसित करने की स्थिति में दोनों पक्ष स्वामित्व के हकदार होंगे।
संयुक्त स्वामित्व वाली बौद्धिक संपदा के दाखिल, अभियोजन, विपणन और व्यावसायीकरण के संबंध में लागत और राजस्व के बंटवारे के लिए एमओयू में बाद में संशोधन किया जाएगा।

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