क्या प्रशासन की उदासीनता दे रही दुर्घटनाओं को आमंत्रण,पूर्व की जांच शिफारिशों पर कितना हुआ अमल

Haridwar social

हरिद्वार। न्यायिक जांच आयोग के सुझावों को दरकिनार कर अति संवेदनशील मेला क्षेत्र में वाहन पार्किंग के ठेके देने के लिए निगम प्रशासन द्वारा निविदा जारी की गई है। जिसके विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता जेपी बड़ोनी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर इस पर रोक लगाने की मांग की है।

सर्वविदित है की हरिद्वार एक तीर्थ स्थल का है। यहां आए दिन मेलों को आयोजन होता रहता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पहुचंते हैं। प्रत्येक वर्ष कई बड़े मेलों का भी आयोजन होता है। सभी मेलों में तीर्थ श्रद्धालु हर की पैड़ी क्षेत्र में गंगा स्नान करने के इच्छुक होते हैं। इस कारण हर की पैड़ी क्षेत्र की तरफ आने जाने के लिए समुचित व्यवस्था की आवश्यकता होती है। पूर्व मेलों में जो भी दुर्घटनाएं हुई हैं उनका यह कारण यह भी था कि हर की पैड़ी के तरफ आने जाने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं थी।

बता दें कि हरिद्वार में 15 जुलाई सन् 1996 में सोमवती अमावस्या के मौके पर हरकी पैड़ी पर लगभग 15 लाख श्रद्वालु जमा होने से मची भगदड के दौरान लगभग 22 श्रद्वालुओं की असमय मौत हो गई थी। इस घटना में हजारों श्रद्वालु घायल हो गये थे। तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भगदड की जांच हेतू जस्टिस राधे कृष्ण अग्रवाल की अध्यक्षता में जाँच आयोग का गठन किया गया था, ताकि भविष्य में इस तरह की किसी घटना की पुनरावृति ना हो सके। इसी तरह वर्ष 1986 के कुंभ में घटित दुर्घटना की जांच के सम्बन्ध में भी न्यायमूर्ति कैलाश नाथ गोयल की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित हुआ था और आयोग द्वारा अपनी जॉच सरकार के समक्ष प्रस्तुत की थी लेकिन विडंबना है आयोग बनते रहे 8 सरकारें सोती रही और हादसे होते रहे।

जस्टिस राधे कृष्ण अग्रवाल जाचं आयोग द्वारा अपनी जॉच रिपोर्ट में सरकार को 44 सिफारिश की गई, जिससे कि भविष्य में हरकी पैडी क्षेत्र में भारी भीड़ के दौरान हादसों से बचाव किया जा सके लेकिन इन 44 सिफारिश को आज तक लागू नहीं किया गया इनमें से एक सिफारिश हरकी पैड़ी के पास के स्थित रोडीबेलवाला मैदान को खाली रखने की गई थी, जिससे कि हरकी पैड़ी अथवा आसपास हादसा होने की दशा में अनियंत्रित भीड को मैदान में फैलाया जा सके। इसके पश्चात रोडीबेलवाला मैदान बफर जोन के नाम से जाना जाने लगा। हरकी पैड़ी के पास बफर जोन रोडीबेलवाला मैदान के अतिरिक्त अन्य ऐसी कोई जगह नहीं है, जहाँ भीड को फैलाया जा सके। जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल द्वारा सुझाव दिया गया था कि हरिद्वार एक पौराणिक तीर्थ स्थल है और यहां पूरे वर्ष भर कोई न कोई मेला किसी न किसी माह में आयोजित होता रहता है मेले में उचित प्रबंध हेतू यह भी सुझाव है कि मेला प्राधिकरण का गठन किया जाये जिसका यह दायित्व होगा कि हरिद्वार के प्रतिदिन आने जाने वाले यात्रियों तथा वहां लगने वाले विभिन्न मेलांे का समुचित प्रबंध करे। यहां विभागो में आपसी समुचित तालमेल के अभाव में तीर्थ यात्रियों के लिए उचित सुविधा को प्रबन्ध नहीं हो पा रहा हैं, धार्मिक आयोजनो को लेकर अपार श्रद्धा वाले देश भारत में शायद ही कोई ऐसा साल बीतता होगा जब ऐसे बड़े हादसे नही होते हो। देश में व्यवस्था के अनुसार आयोगों की सिफारिशों को लागू करने का दायित्व सरकारो का रहता है लेकिन उक्त न्यायिक आयोगों की रिर्पोट आज भी धूल फांक रही है।

तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 15 जुलाई 1996 के सोमवती अमावस्या के मौके पर हुए हादसे के बाद रोडीबेलवाला मैदान में विद्युत सिचाई विभाग लगभग 300 क्वाटरों की सरकारी कालोनी ध्वस्त कर दिया गया जिसमंे 300 परिवार रह रहे थे इसके साथ ही रोडीबेलवाला मैदान में चिल्डर्स एकेडमी स्कूल ध्वस्त कर दिया गया। साथ ही रोडीबेलवाला मैदान में संचालित वाहन पार्किंग को भी स्थाई रूप से बन्द कर दिया गया। इसके बाद से रोडीबेलवाला मैदान जनहित में खाली छोड़ दिया गया और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रोडीबेलवाला मैदान में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण व आयोजन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। तत्कालीन सरकार द्वारा 1997-1998 से रोडीबेलवाला मैदान को पूर्णतः खाली करते हुए नई पार्किग व्यवस्था के अर्न्तगत पंतदीप मैदान के 94000 वर्ग मीटर विशाल क्षेत्र में स्थाई वाहन पार्किंग का संचालन शुरु कराया गया जो अब पंतदीप वाहन पार्किंग के नाम से जाना जाती है। इसके अतिरिक्त धोबीघाट मैदान में स्थाई वाहन पार्किंग का ठेका दिया गया। इसके बाद से नगर निगम हरिद्वार द्वारा भी सर्वानन्द घाट पार्किंग का ठेका दिया जाने लगा, पंतदीप मैदान के सामने लालजीवाला, चमगादड टापू की विशाल जगह खाली पड़ी, जिस पर आवश्यक होने पर अस्थाई पार्किंग का संचालन कराया जा सकता है।

इसके बाद भी शासन, स्थानीय प्रशासन ने हरिद्वार में हुई दुर्घटनाओं से शायद कोई सबक नहीं सीखा है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाली मेला भूमि पर बिना किसी अनुमति के सिंचाई विभाग उत्तराखंड के अधिकारियों ने पंतदीप मैदान और रोड़ी बेलवाला क्षेत्र में वाहन पार्किंग के ठेके आवंटित किए हुए हैं और पार्किंग ठेकेदारों ने संबंधित अधिकारियों से सांठगांठ कर सैकड़ों की तादात में खुले क्षेत्र में दुकामें आवंटित कर संपूर्ण मेला क्षेत्र को व्यवसायिक क्षेत्र के रूप में तब्दील कर दिया है।

इतना ही नहीं शेष बचे क्षेत्र में भी नगर निगम प्रशासन ने रोड़ी बेलवाला मैदान में एक और वाहन पार्किंग का ठेका दिए जाने हेतु निविदाएं आमंत्रित की हैं। यदि नगर निगम प्रशासन अपने इस अभियान में सफल रहा तो तय है की पंतदीप क्षेत्र की भांति रोड़ी बेलवाला क्षेत्र भी वाहन पार्किंग ठेकेदारों की गिरफ्त में होगा और इस संपूर्ण क्षेत्र को व्यावसायिक क्षेत्र में तब्दील कर दिया जाएगा। हर की पैड़ी क्षेत्र में आने जाने वाले लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और इस बात का भी अंदेशा है की ऐसी व्यवस्था से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है और जन हानि की आशंका भी बनी रहेगी।

इस गंभीर प्रकरण की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता जयप्रकाश बडोनी ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को दे दी है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है हरिद्वार मेला क्षेत्र की भूमि का स्वामित्व उत्तर प्रदेश सरकार का है और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुंभ मेला भूमि को मात्र मेला प्रयोजन हेतु आवंटित किया गया था। समाचार पत्रों के माध्यम से वाहन पार्किंग ठेका विज्ञप्ति की जानकारी मिली है विभाग कानूनी कार्रवाई कर रहा है।

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