दास से गिरि हो गए स्वामी कैलाशानंद

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हरिद्वार। अग्नि अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने अग्नि अखाड़े को छोड़कर श्री निरंजनी अखाड़े का साधु बनने के बाद ब्रह्मचारी से संन्यास परम्परा में प्रवर्त हो गए। इसके बाद 14 जनवरी को वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य पद पर आसीन हो जाएंगे।
बता दें कि अग्नि अखाड़े का ब्रह्मचारी बनने से पूर्व स्वामी कैलाशानंद गिरि बैरागी सम्प्रदाय में थे। अयोध्या में इन्होंने बैरागी पंथ के संत को अपना गुरु बनाया और इनका नाम कैलाश दास हो गया। बैरागी सम्प्रदाय को छोड़ने के बाद अग्नि अखाड़े का ब्रह्मचारी बनने पर ये कैलाशानंद ब्रह्मचारी हो गए। अपने ज्ञान और विद्वता के कारण इन्हें अग्नि अखाड़े का महामण्डलेश्वर बनाया गया। अब स्वामी कैलाशांनद महाराज के निरंजनी अखाड़े का संत बनने के बाद ये दास, ब्रह्मचारी को छोड़कर अब गिरि नाम में प्रवर्त हो गए हैं। 14 जनवरी को इनको निरंजनी अखाड़े के आचार्य पद पर आसीन किया जाएगा।

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