विकास प्राधिकरण की लीला, कार्यमुक्त करने के बाद भी वर्षों से पद पर डटे अधिकारी

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जिसके खिलाफ शिकायत जांच भी उसी को, बिना चढ़ावे नहीं होता कोई काम


महिला की शिकायत के बाद भी जांच ठडे बस्ते में


हरिद्वार। हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण या विनाश प्राधिकरण। शासन-प्रशासन के लिए भले ही यह विकास प्राधिकरण हो, किन्तु आम जनता के लिए यह विनाश प्राधिकरण साबित हो रहा है।
वैसे अवैध कालोनियों को आए दिन सील करने के नाम पर प्राधिकारण के अधिकारी वाह-वाही भले ही लूटते हों, किन्तु बिना पैसे दिए यहां किसी का काम हो पाना मुश्किल है। बिना पैसे नक्शा पास होना मुमकिन ही नहीं है। प्राधिकरण में एक एई के पद पर तैनात व्यक्ति अपने मूल स्थान पर कार्यमुक्त किए जाने के बाद भी वर्षों से उसी पद पर डटा हुआ है। बिना दक्षिणा चढ़ाए कोई काम करने को तैयार ही नहीं। यदि आपका कोई काम है और आपने दक्षिणा नहीं चढ़ाई तो आप चक्कर काटते ही रह जाएंगे और व्यक्ति परेशान होकर खुद कहने लगता है की बताओ क्या चाहिए।


कनखल में सम्पत्ति किसी और की तथा बेची किसी और ने। साथ ही न्यायालय के रोक के आदेश के बाद भी जमीन की बिक्री कर दी गई और विकास प्राधिकारण को शिकायत करने के बाद भी उक्त भूमि पर निर्माण हो गया। ऐसे में विकास प्राधिकरण शहर का विकास न करनेे की बजाय अपना ही विकास करने में लगा हुआ है।


शिवलोक निवासी महिला बुला डे तो मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पंकज पाठक पर आर्किटेक्ट के साथ मिलकर मानसिंक उत्पीड़न का आरोप भी लगा चुकी हैं। श्रीमति बलाबोस ऊर्फ बुला डे ने तो प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर पंकज पाठक की सम्पत्ति की जांच की मांग भी की थी। जिसके संबंध में विकास अनुभाग के अनु सचिव ने बुला डे को पत्र भी दिया था। किन्तु आज तक पंकज पाठक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार ने अपने पांच कितनी गहराई तक जमाए हुए हैं।
आलम यह कि
किसी और की भूमि पर किसी और के नाम नक्शा पास करने में भी अधिकारी गुरेज नहीं करते हैं। विगत दिनों प्राधिकरण ने एक ऐसे व्यक्ति का भवन का नक्शा पास कर दिया, जिसके पास उसकी अपनी कोई भूमि थी ही नहीं। अर्थात स्वामित्वविहीन व्यक्ति को दूसरे की भूमि पर भवन निर्माण का नक्शा स्वीकृत कर दिया गया। जब वास्तविक भूमि स्वामी ने प्राधिकरण में शिकायत की तो प्राधिकरण के अधिकारियों के होश उड़ गये और अब आनन-फानन में नक्शे को निरस्त करना पड़ा।


शेखूपुरा कनखल में वर्तमान भू स्वामी ने शिकायती पत्र देकर प्राधिकरण से मांग की थी कि उसकी भूमि पर जो नक्शा स्वीकृत किया गया है वह भूमि उसकी है, जो उसने भूषण से 10.7.64 को क्रय की थी। भूषण शर्मा ने उक्त भूमि कुन्दन सिंह अमीर सिंह पुत्र गुरूदयाल से क्रय की थी, जो कुन्दन सिंह, अमीर सिंह ने रामानन्द से 25.2.56 को खरीदी थी। भूषण शर्मा ने उक्त भूमि का दाखिल खारिज कराने के लिए न्यायालय सहायक कलेक्टेªट, प्रथम श्रेणी, हरिद्वार में वाद दायर किया, जिसमें न्यायालय के आदेश 10.4.87 से भूषण शर्मा का नाम खतौनी में दर्ज कर दिया गया, जो कई वर्षो तक दर्ज रहा। 30.4.2004 कां भूषण शर्मा के वारिसों ने उक्त भूमि को एसआर टेªडर्स अमृतसर को बेच दिया। जो वर्तमान में भूमि का असली मालिक व स्वामी है। राजस्व अभिलेख नकल खतौनी की अनदेखी कर विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा स्वामित्वहीन व्यक्ति सुभाष सिंह के प्रार्थना पत्र पर नक्शा पास कर दिया गया।


भू स्वामी द्वारा मामले में शिकायत करने पर अधिकारियों में हडकंप मच गया और 13 फरवरी 2023 को नक्शे को निरस्त करना पड़ा। बताया जाता है कि दूसरे की भूमि पर नक्शा पास करने में बड़ा खेल हुआ। वहीं वहीं सहायक अभियंता के पद पर तैनात पंकज पाठक के खिलाफ कार्यवाही करते हुए तत्कालीन एचआरडीए उपाध्यक्ष दीपक रावत ने पंकज पाठक को उनके मूल स्थान सिंचाई विभाग देहरादून के लिए कार्य मुक्त करने के आदेश पारित कर दिए थे। बावजूद इसके ये वर्षों से वहीं जमे हुए हैं। इनके दूसरे सहयोगी भी इन्हीं के पदाचिह्नों का अनुसरण कर रहे है।


मजेदार बात यह कि अपने दलालों को भी इन्होंने छोड़ा हुआ है। कुछ कथित लोग ऐसे हैं जो पूरा समय प्राधिकरण में ही बीताते हैं। यदि कोई व्यक्ति काम के लिए जाता है तो बाकायदा उसको चढ़ावा चढ़ाने के लिए कहा जाता है। यदि चढ़ावा नहीं चढ़ता है तो वह दलाल सूचना के अधिकार का प्रयोग कर व्यक्ति पर दवाब बनाने का काम करता है। जिस कारण से हार कर व्यक्ति को चढ़ावा चढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वैसे इनका छोड़ा हुआ दलाल बिना किसी काम के गाडि़यों में घुमता है और कई बार लोगों द्वारा किए जा रहे निर्माण की एवज में धन की भी मांग करने पर पुलिस के पचेड़ों में भी पड़ चुका है।
वहीं एक अन्य महिला भी पंकज पाठक पर कई गंभीर आरोप लगा चुकी है। जिसके संबंध में पंकज पाठक को सफाई तक देनी पड़ी थी।
प्रदेश सरकार भले ही जीरो टालरेंस की बात करे, किन्तु सत्यता यही है कि आम आदमी को जबरन परेशान करने का कार्य प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है।

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