हरिद्वार। विगत 47 दिनों से मातृ सदन में गंगा रक्षा के लिए अनशन कर रही सावी पद्मावती को गुरुवार की देर रात्रि जबरन अनशन से उठाने और उन्हें दून में चिकित्सालय में भर्ती करए जाने के मामले में स्वामी शिवानंद के शिष्य ब्रह्मचारी दयानंद की ओर से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, एसडीएम कुश्म चौहान, कनखल एससो विकास भारद्वाज, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सरोज नैथानी, तहसीलदार लक्सर सुनैना राणा, चौकी इंचार्ज जगजीतपुर लाखन सिंह समेत 150 पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीजीएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया है। ब्रह्मचारी दयानंद ने अधिवक्ता अरुण भदौरिया के माध्यम से कोर्ट में शुक्रवार को याचिका दायर की गई। जिसकी सुनवाई करते हुए सीजेएम कोर्ट ने 14 फरवरी की तारीख तय की गई है। आरोप है कि इन सभी ने मातृ सदन में अनशन कर रही साध्वी पद्मावती को जबरन उठाया और अस्पताल में भर्ती कराया है।
सीजीएम कोर्ट में दायर की गई याचिका में बताया कि उनकी गुरू बहन साध्वी पदमावती ने अपने गुरूभाई ब्रहमचारी आत्मबोधानन्द के साथ गंगाजी के लिए दिल्ली से आयें अधिकारियों के द्वारा किये गये वायदों को पूर्ण न करने क कारण शासन प्रशासन को सूचना दिए जाने के बाद 15 दिसंबर 2019 से मातृ सदन में संवैधानिक दायरे में उक्त वायदे को पूर्ण करने के लिए आमरण अनशन आरम्भ किया था। साध्वी द्वारा बताया गया कि 28 से 30 जनवरी 2020 तक दिन-रात अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण होने के कारण साध्वी पद्मावती को एसिडिटि की शिकायत हुई। जो कि 30 जनवरी को जिला चिकित्सालय की टीम को साध्वी ने बताया कि उन्हंे एसिडिटि हो रही है। जिसके बाद डॉ. ने साध्वी को दवाई दी गई। 30 जनवरी की रात को जब साध्वी पूर्ण स्वस्थ थी। मुख्य चिककत्साधिकारी ने दवाई असर होने की जानकारी होने के बावजूद कि साध्वी पूर्ण स्वस्थ साध्वी की अपने सहयोगियों के साथ फर्जी रिपोर्ट बनाई।
आरोप है कि 30 जनवरी की रात 11 बजे विपक्षीगणों ने साध्वी की तपस्थली एवं विश्राम कक्ष में जबरदस्ती दरवाजे को तोड़कर प्रवेश किया गया। उसके बाद साध्वी को जबरदस्ती उठाकर आश्रम से ले जाया गया। जिससे साध्वी के साथ भी गंगा रक्षा के लिए अपने प्राणों का त्याग कर चुके स्वामी निगमानंद तथा स्वामी सानंद के साथ हुई हत्या की घटना का पूर्णरूप से आंदेशा साध्वी पद्मावती के साथ भी होने का अंदेशा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 14 फरवरी तय की है।