कूड़े की आड़ में निगम में खेला जा रहा भ्रष्टाचार का खेल

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केआरएल व निगम अधिकारियों पर पार्षदों ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
हरिद्वार।
कूड़े की आड़ में नगर निगम में भ्रष्टाचार का खेल खेल खेला जा रहा है। अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का निगम का नुकसान हो रहा है। इस कारण सरकार को निगम को बंद कर देना चाहिए।
पार्षद अंकुर महता ने शनिवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि निगम अधिकारियों और केआरएल कम्पनी की मिलीभगत से निगम में कूड़े की आड़ लेकर भ्रष्टाचार का बड़ा खेल खेला जा रहा है। बताया कि केआरएल कम्पनी द्वारा चौबीस घंटे शहर से कूड़ा उठाने के बाद भी शहर में जगह-जगह कूड़े के ढ़ेर लगे हुए हैं। प्रति पांच मिनट बाद एक गाड़ी कूड़ा भरकर डंम्पिंग जोन में डाली जा रही है। जबकि सत्यता इससे कोसों दूर है। शहर गंदगी से अटा हुआ है और कागजों में सफाई दिखाकर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की हेराफेरी की जा रही है। उन्होंने बताया कि निगम व अन्य संस्थानों से जानकारी मांगने पर पता चला कि कूड़ा ढ़ोने का एक वाहन शुरू होने से लेकर आज तक निरंतर कूड़ा ढ़ो रहा है। एक ही गाड़ी संख्या यूके 08 सी 5308 से दिसम्बर से आज तक 20 हजार टन कूड़ा ढ़ोया जा चुका है। जबकि गाड़ी की कूड़ा उठाने की क्षमता छह टन है। प्रति बार गाड़ी में 150 कुंतल कूड़ा दर्शाया जाता है। जो कि संभव नहीं है। बताया कि केआरएल कम्पनी को कूड़ा उठाने का निगम द्वारा जो जिम्मा दिया गया है उस कम्पनी के पास अपनी एक भी गाड़ी नहीं है। सभी गाडि़यां निगम की उपयोग की जा रही हैं। निगम द्वारा कम्पनी को 19 गाड़ी दिया जाना दर्शाया गया है जबकि कार्य में 52 गाडि़या लगी हुई हैं। बताया कि जो गाडि़यां कूड़ा लेकर दौड़ रही हैं उनका न तो रजिस्ट्रेशन है और न ही पोलुशन, आरसी व बीमा तक है। श्री महता ने बताया कि कूड़ा निस्तारण प्लांट वर्ष 2012 में शुरू किया गया था। जबकि प्लांट में विद्युत कनेक्शन वर्ष 2017 दिसम्बर माह में लिया गया। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि प्लांट किस तरह से काम कर रहा था। उन्होंने बताया कि प्लांट में विद्युत कनेक्शन में वर्ष 2018 से लेकर आज तक 1048 से लेकर 3700 यूनिट बिजली की खपत हुई है, जो कि घरेलु बिल के बराबर है। ऐसे में प्लांट द्वारा कूड़ा निस्तारण का अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि निगम के बोर्ड का गठन वर्ष 2018 दिसम्बर में हुआ था। उस समय 20 से 25 लाख प्रति माह कूड़ा उठाने का खर्च केआरएल कम्पनी को दिया जाता था, जो नए बोर्ड के गठन के बाद अचानक 30 लाख के करीब पहुंच गया। बताया कि कूड़ा गाड़ी की तोल पर्ची में भी भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। कूड़ा पर्ची के सिाब से प्रति पांच मिनट बाद एक गाड़ी कूड़क की तोल की जा रही है और यह सिलसिला प्रतिदिन चौबीस घंटे जारी रहता है। श्री महता ने बताया कि मुनि की रेती नगर पालिका का कूड़ा भी हरिद्वार में डम्पिंग के लिए लाया जा रहा है। वहां से कूड़ा नगर पालिका की गाड़ी में लाया जाता है और उसका भुगतान केआरएल कम्पनी को किया जा रहा है। इतना ही नहीं निगम की जमीन पर मुनि की रेती का कूड़ा डालकर उसका पैसा भी केआरएल कम्पनी को दिया जा रहा है। उन्होंने कहाकि अनुबंध के मुताबिक केआरएल कम्पनी घरों से कूड़ा उठाने का जो चार्ज कर रही है उसे उसका अधिकार तक नहीं है। साथ ही केआरएल कम्पनी कूड़ा उठाने के लिए जारी की गई निविदा में शामिल नहीं थी बावजूद इसके उसे यह कार्य सौंपा गया। साथ ही उसके साथ किए गए अनुबंध को भी बदल दिया गया। बताया कि सूचना के अधिकार मे ंमालूम हुआ कि केआरएल नाम से कोई कम्पनी श्रम विभाग में पंजीकृत तक नहीं है। ऐसे में कम्पनी कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी कर रही है। उन्होंने कहाकि निगम को कम्पनी को हटाकर सफाई का कार्य अपने हाथों में लेना चाहिए। उन्होंने कहाकि निगम अधिकारियों को बिना बोर्ड की अनुमति लिए छह लाख तक के भुगतान का अधिकार है जबकि बिना बोर्ड की अनुमति के 30 लाख से अधिक का भुगतान भी कम्पनी को किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि मामले की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए तथा इस घोटाले में जो भी दोषी हो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाही होनी चाहिए।
प्रेसवार्ता के दौरान पार्षद जौली प्रजापति, चिराग, रेणू अरोड़ा, एकता गुप्ता, मयंक गुप्ता आदि मौजूद थे।

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