हरिद्वार। देशभर के स्कूल कालेजांे में आनलाईन कक्षाएं संचालित की जा रही है। वेबिनार के माध्यम से छात्र एवं छात्राओं को अपने-अपने विषय के अध्यापक पाठ्यक्रम का पूरा करा रहे हैं। छात्र एवं छात्राओं को कम्प्यूटर और लैपटाप के माध्यम से इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। इसलिए बहुत से छात्र-छात्राओं को आनलाईन पढ़ाई के कारण डिप्रेशन भी बढ़ता जा रहा है। इस सम्बन्ध में विश्वविद्यालय ने छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए डा. राम शर्मा ने इससे बचने के उपाय बताए हैं। डा. राम शर्मा ने बताया कि कम्प्यूटर, लैपटाप और मोबाइल के माध्यम से देश के सभी स्कूल कालेज इस प्रक्रिया को अपना रहे हैं। कोरोना वायरस के इस दौर में सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है। मगर इस प्रक्रिया में जुटे रहने से छात्र-छात्राओं को कई तरह की बीमारी होने की आंशका बनी हुई है। इस कारण छात्र-छात्राओं में सिर दर्द, सर्वाइकल और डिप्रेशन की समस्या आ रही है। जो छात्र-छात्राएं आनलाईन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, उन्हें सबसे पहले अपने को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम अवश्य करना चाहिए। इससेे छात्र-छात्राओं को इस बीमारी से निजात मिल सकती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए घर का बना भोजन, आंवला, फल, हरी सब्जियां, तुलसी, गिलोय, दूध, दही और लस्सी का उपयोग करना चाहिए। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होगा। वर्तमान में पूरे विश्व में कोरोना की महामारी फैली हुई है। इस महामारी से सामना करने के लिए इन चीजों का प्रतिदिन उपयोग करना विशेष जरूरी है।
चिन्मय डिग्री कालेज के प्राचार्य डा. आलोक कुमार ने आनलाईन कक्षाओं के कारण छात्र-छात्राओं पर इस शिक्षा प्रणाली का असर भी दिखाई देने लगा है। छात्र-छात्राओं को कम्प्यूटर, लैपटाप और मोबाइल का उपयोग उतना ही करना चाहिए, जितनी समय की जरूरत है।
गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग के शोध छात्र पवन कुमार व समाज सेविका रेखा नेगी का कहना है कि जो बच्चे चाहर दीवारी के अन्दर कैद है उन बच्चों के व्यवहार में अंतर भी आता जा रहा है। माता-पिता को सकारात्मक तौर तरीके से अपने बच्चों को धार्मिक पुस्तकें का अध्ययन और योगाभ्यास कराना चाहिए।