हरिद्वार। छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल की सरकार द्वारा सवेतन बहाली किए जाने पर शिकायतकर्ता पंकज लाम्बा ने नाराजगी जताते हुए सरकार पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।
शिकायतकर्ता पंकज लाम्बा ने बताया कि 31 अक्टूबर 2019 को हरिद्वार के सिडकुल थाने में समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एसआईटी ने मुकद्मा दर्ज कराया गया था।
श्री लाम्बा ने बताया कि गीताराम नौटियाल मुकद्मा दर्ज होने के बाद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए खासे प्रयास करता रहा। इसके लिए उसने अनुसूचित जनजाति आयोग का भी दरवाजा खटखटाया तथा वहां आयोग को भ्रमित कर गिरफ्तारी पर रोक संबंधी आदेश भी प्राप्त कर जिए थे। पंकज लाम्बा ने गीताराम नौटियाल की गिरफ्तारी के लिए पीआईएल डाली जिसमें उन्होंने अनुसूचित जनजाति आयोगख् एसआईटी व गीतराम नौटियाल को पार्टी बनाया। कोर्ट के सख्त रूख और गीताराम की याचिका के खारिज होने के बाद एसआईटी ने गीताराम को भगोड़ा घोषित कर दिया। इसके बाद गीताराम को गिरफ्तार किया गया। श्री लाम्बा ने बताया कि एसआईटी की जांच में दोषी पाए जाने तथा उच्च व उच्चतम न्यायालय में याचिका खारिज होने के बाद भी प्रदेश सरकार ने 19 मई 200 के अपने आदेश में गीताराम को उसके पद पर सवेतन बहाल कर दिया। इसके साथ ही निलम्बित अवधी का वेतन देने के आदेश भी बहाल कर दिए। उन्होंने कहाकि पद पर बहाल होने के कारण गीताराम नौटियाल अपने खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है। श्री लाम्बा ने कहाकि गीताराम नौटियाल ने हाईकोर्ट में दिए अपने शपथ पत्र में घोटाले में कई बड़े नेताओं के शामिल होने की बात कही थी। उच्च न्यायालय ने शपथ पत्र के आधार पर एसआईटी से उन नेताओं की सूची भी मांगी थी, किन्तु वह सूची भी एसआईटी आज तक पेश नहीं कर पायी। श्री लाम्बा ने कहाकि गीताराम नौटियाल की बहाली उन नेताओं को बचाने का प्रयास है जो इस घोटाले में शामिल हैं। कहाकि सरकार को डर है कि यदि गीताराम नौटियाल सरकारी गवाह बन गया तो कई बड़े नेताओं की परतें खुल सकती हैं। उन्होंने कहाकि फिलहाल वैशिवक महामारी कोरोना के कारण पूरा विश्व परेशान है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। कोरोना के बाद इस मामले को पुनः जोर-शोर से जनता के सामने उठाया जाएगा।