पर्यावरण विघटन के लिए मानव जाति ही जिम्मेदारः प्रो. भट्ट

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हरिद्वार। भारत विकास परिषद् शाखा पंचपुरी, हरिद्वार द्वारा पर्यावरण विघटन, जिम्मेदार कौन है? विषय को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य वक्ता पर्यावरणविद्, पक्षी वैज्ञानिक व गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, के पूर्व कुलसचिव प्रोफेसर प्रो. दिनेश भट्ट ने अपने उद्बोधन में बताया कि पर्यावरण विघटन के लिये मानव जाति ही जिम्मेदार है। औद्योगिकरण, शहरीकरण, एग्रीकल्चर, बांध निर्माण, सड़क निर्माण इत्यादि के लिये अत्यधिक वनों का कटाव किया गया, जबकि पादप जगत ही आक्सीजन प्रदान करता है और कार्बन डाईआक्साइड गैस को अवशोषित करता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान वर्ष ही नहीं अपितु पूरा डिकेड ही इकोसिस्टम रिटोरेशन के लिये यूएन द्वारा घोषित किया गया है। आज मनुष्य द्वारा जहां-तहां अवैध खनन, इमारती और चन्दन जैसी महंगी लकड़ी का अवैध कटान व स्मगलींग, पशु-पक्षियों का अवैध आखेट, कस्तुरी मृग की कस्तुरी के लिये पोचिंग, राइनो के हार्न, हाथी दांत के लिए, बाघ व शेर की खाल बेचने के लिए स्मगलरों का गिरोह पूरे देश में सक्रिय है। इतना ही नहीं फार्मा कम्पनियों द्वारा हिमालय की जड़ी-बुटियों व औषधीय पादपों का अत्यधिक दोहन के कारण अनेक औषधीय पौधे आज विलुप्त होने के कगार पर है।
प्रो. भट्ट ने कहा कि मनुष्यों की लापरवाही से वनाग्नि के कारण दुर्लभ प्रजाति के चकोर, मोनाल, कलीज, तीतर इत्यादि पक्षियों के घोंसले व अण्डे हर साल बर्बाद हो जाते हैं। सारस पक्षी के जोड़े में एक के मरने से दूसरा पक्षी विलाप करते हुए खुद ही मर जाता है। उन्होंने बताया वर्तमान में केवल 14 लाख प्रजातियों के बारे में जानकारी उपलब्ध है, जबकि भारतीय विद्वानों व ऋषियों ने 84 लाख योनियों यानी प्रजातियों की बात कही है। आश्चर्य है कि हजारों वर्ष पूर्व बतायी गई 84 लाख योनियों के अस्तित्व के बारे में अब यूरोप पश्चिम के वैज्ञानिक भी सहमत हैं। हमारे शास्त्रों में प्रकृति रक्षति रक्षितः का उपदेश दिया गया है। इनसेक्टीसाइड व पेस्टीसाइड के उपयोग से सब्जियों व फलों में जहर मिक्स हो चुका है। अतः आज पुनः वहाट्सअप से हटकर प्रकृति की ओर लौटने व प्रकृति-सरक्षण का संकल्प लेना होगा।
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए प्रान्तीय सचिव जेके मोंगा ने पंचपुरी शाखा द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और कहा कि मानव जीवन प्रकृति पर आश्रित है। प्रकृति एक विराट शरीर की तरह है।
योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेन्द्र कुमार त्यागी ने कहा कि प्रकृति ने मानव को सभी वस्तुएं ऐसी प्रदान की हैं जिनसे वह किसी न किसी रूप में लाभांवित होता रहा है।
पंचपुरी शाखा के सचिव हेमन्त सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष डा. कृष्ण कुमार ने सभी अतिथियों व वेबिनार में उपस्थित सदस्यों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर रश्मि मोंगा, रेखा नेगी, लायन एसआर गुप्ता, डा गजेन्द्र सिंह राणा, संजीव लाम्बा, राधिका नागरथ, रितु सहदेव, शोभा सिंह, मधु मरवाह इत्यादि उपस्थित रहे। संचालन डा. ऊधम सिंह ने किया।

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