हरिद्वार। गंगा में प्लास्टिक वेस्ट को कम से कम करने के लिए दो संस्थाएं एकजुट हुई हैं। ये संस्थाएं हैं अलाइंस टू एंड प्लास्टिक वेस्ट तथा जीआईजेड इंटरनेशनल सर्विसेस। इन दोनों ही संस्थाओं ने मिलकर नेशनल कंजरवेशन डे (राष्ट्रीय संरक्षण दिवस) पर गंगा नदी में प्लास्टिक वेस्ट कम करने की दिशा में एक पायलट प्रोजेक्ट अविरल लॉन्च किया है। इस अभियान के अंतर्गत उत्तर भारतीय शहरों हरिद्वार तथा ऋषिकेश के पर्यावरण में प्रवेश कर रहे प्लास्टिक कचरे को कम से कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
पिछले कुछ सालों में ही भारत में प्लास्टिक आधारित कचरे की मात्रा में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। खासतौर पर कचरे की यह बढ़ोत्तरी हरिद्वार और ऋषिकेश, इन दोनों शहरों को प्रभावित कर रही है। महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थलों तथा सांस्कृतिक पर्यटन स्थलों के रूप में ख्यातिप्राप्त इन दो स्थलों पर पिछले कुछ वर्षों में यात्रियों और पर्यटकों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी की वजह से प्लास्टिक के कचरे की मात्रा प्रबंधन से बाहर की बात हो गई है।
अविरल प्रोजेक्ट कचरा प्रबंधन के मार्ग में आने वाली चुनौतियों के निपटारे पर काम करेगा। विशेष तौर पर यह एकीकृत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करेगा। उक्त दो शहरों में दो वर्षीय इस पायलेट प्रोजेक्ट के साथ ही यह पार्टनरशिप भारत के अन्य सहयोगी शहरों में भी इस अभियान को आगे ले जाने का लक्ष्य रखती है।
अलाइंस टू एंड प्लास्टिक वेस्ट के प्रेसिडेंट तथा सीईओ, जैकब ड्यूर ने कहाकि हम एक ऐसी दुनिया चाहते हैं जहां हर नागरिक समुदाय एक ऐसे वातावरण में रह सके, जहां प्लास्टिक के कचरे का समुचित प्रबंधन हो।
जीआईजेड इंटरनेशनल सर्विसेस के डायरेक्टर जनरल कर्स्टन श्मिट्ज हॉफमैन ने कहाकि अविरल के साथ गंगा में प्लास्टिक के कचरे को कम करते हुए, हम स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय मिशन (नमामि गंगे) के वर्तमान फ्लैगशिप कार्यक्रम तथा स्वच्छ भारत मिशन (अभियान) के साथ भी चल रहे हैं।