पतंजलि योगपीठ में पूर्ण उत्साह से मनाया गया 7वाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
हरिद्वार। 7वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर ोगऋषि स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के सान्निध्य में पतंजलि योगपीठ-।। स्थित योगभवन सभागार में योग दिवस उल्लास के साथ मनाया गया। वेद, उपनिषद्, दर्शन तथा श्रीमद्भगवतगीता की ऋचाओं के वाचन के मध्य योग का शंखनाद करते हुए स्वामी रामदेव ने स्वस्थ जीवन व निरोगी काया की प्राप्ति के लिए योग को एकमात्र साधन बताया। व्यष्टि से समष्टि तक की यात्रा है योग। यौगिक स्केटिंग, यौगिक जिम्नास्टिक, मल्लखम्भ, मल्लयुद्ध, यौगिक मुद्राओं और झांकियों के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज के इस युग में योग धर्म सर्वोपरि है, योगधर्म ही युग धर्म, राष्ट्र धर्म, सेवा धर्म, मानव धर्म, अध्यात्म धर्म तथा भागवत धर्म है। योग में ही हमारी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक, धार्मिक तथा आध्यात्मिक सभी सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान है। योग फॉर हेल्थ, योग फॉर वैलनेस, योग फॉर पीस, योग फॉर हार्मोनी ये योग के विभिन्न आयाम है। योग एक ब्रह्मास्त्र है जिससे हम अपने शरीरबल, मनोबल, आत्मबल को प्रबल करके अपने जीवन का निर्माण करते हुए अंत मे निर्वाण मोक्ष को प्राप्त होते हैं। उन्होंनेे आह्नान किया कि मात्र एक दिन के लिए नहीं प्रतिदिन योग करने का संकल्प लें।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने उपस्थित योग साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि योग को विविध तरह से किया जा सकता है, उसके विविध अंग तथा आयाम हैं। योग के द्वारा विविध व्याधियों को नष्ट किया जा सकता है। स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा है कि योग ने आम जनता की नहीं चिकित्सकों के जीवन की रक्षा करने में बड़ा योगदान दिया है। यह निर्विवाद है कि योग में अपार शक्ति है। हम सबको उस शक्ति को पहचानकर जितना जल्दी हो सके योग से जुड़कर दुनिया को रोगमुक्त करते हुए हिंसा से बचाने का कार्य करना है।
प्रातः सरकारी प्रोटोकॉल के तहत प्रार्थना, ग्रीवा चालन, स्कंध संचालन, कटि संचालन, घुटना संचालन, खड़े होकर किए जाने वाले आसन (ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्ध-चक्रासन, त्रिकोणासन, बैठकर किए जाने वाले आसन भद्रासन, वज्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तानमंडूकासन, वक्रासन, उदर के बल लेटकर किए जाने वाले आसन (मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्ध-हलासन, पवनमुक्तासन, शवासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, शीतली तथा भ्रामरी आदि योगासन-प्राणायाम का अभ्यास व ध्यान, संकल्प कराया गया। शांति पाठ के साथ योगसत्र की समाप्ति हुई।
इस अवसर पर पतंजलि योगसूत्र आधारित एक वेबसाइट का लोकार्पण आचार्य बालकृष्ण के द्वारा किया गया। इस वेबसाइट के माध्यम से एक साथ पाँच भाषाओं हिंदी, संस्कृत, जर्मन, फ्रैंच तथा अंग्रेजी में योगसूत्र उपलब्ध होंगे।