रुड़की/संवाददाता
जहां एक ओर देश में कोरोना वायरस जैसी महामारी के संकट से उबरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लॉकडाउन किया हुआ है, वही कोविड-19 के कारण प्रदेश में भी लॉकडाउन चल रहा है। इस दौरान शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने भी एक ब्यान दिया था कि लॉकडाउन में कोई भी स्कूल अध्यनरत छात्रों से फीस नहीं लेगा। इस संबंध में सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम द्वारा 25 मार्च को एक आदेश भी जारी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि लॉकडाउन के अंतराल में कोई भी शासकीय, अशासकीय/निजी विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं से फीस नहीं लेगा। लेकिन स्कूल संचालकों को शासन के इन आदेशों की कोई परवाह नही है ओर सरकार के आदेशो की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यह हाल तब है, जब इन्हीं स्कूलों में बच्चों को मानवता का पाठ पढ़ाया जाता है, लेकिन आज यही स्कूल संचालक मानवता धर्म को भुलाकर अपनी फीस वसूली को ज्यादा अहम मान रहे है। अब ऐसे में अभिभावकों के सामने एक ओर बड़ा संकट आन खड़ा हुआ है। एक तो रोजगार नही है, ऊपर से लॉकडाउन चल रहा है, अब ऐसे में वह अपने बच्चों की फीस कैसे जमा कराए। स्कूल संचालकों की मनमानी के चलते अभिभावकों पर यह दोहरी मार पड़ रही है। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. आनंद भारद्वाज का कहना है कि स्कूलों की ओर से फीस मांगने के मामले आ रहे हैं, उनकी जांच कराई जा रही है। कई स्कूलों की जांच भी की जा चुकी है। यदि किसी भी स्कूल संचालक ने ऐसा किया या किसी भी बच्चे का नाम काटा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।