आद्य शंकरचार्य स्मारक समिति के कार्यालय का हुआ उद्घाटन
हरिद्वार। मानव कल्याण आश्रम कनखल के प्रागंण मंे स्थित आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति के पुराने कार्यालय के स्थान पर नये कक्ष को जीर्णोद्धारित कर नये कार्यालय का लोकार्पण स्वामी राजराजेश्वराश्रम, आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी विश्ववेश्वरानन्द गिरि महाराज, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्र पुरी ने भगवान आद्य शंकराचार्य के श्रीविग्रह के पूजन के साथ किया। इस अवसर पर स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा और भारत को धार्मिक, सांस्कृतिक व एकता के सूत्र में बांधे रखने का कार्य आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य भगवान ने किया। सनातन धर्म में संन्यास परम्परा के जनक आद्य शंकराचार्य भगवान की स्मृति को चिरस्थायी रखने के लिए आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति ने जहां कनखल में शंकराचार्य चौक स्थापित किया वहीं ब्रह्मलीन स्वामी कल्याणानन्द सरस्वती महाराज ने जीवन पर्यन्त मानव कल्याण आश्रम के माध्यम आद्य शंकराचार्य भगवान की स्मृति को संजोये रखने का कार्य किया। आद्य जगद्गुरू स्मारक समिति के अध्यक्ष स्वामी विश्ववेश्वरानन्द महाराज ने आद्य शंकराचार्य भगवान व उनके प्रति अनन्य श्रद्धा भाव रखने वाले मानव कल्याण आश्रम के ब्रह्मलीन स्वामी कल्याणानन्द महाराज को स्मरण करते हुए कहा कि मानव कल्याण शुरू से ही आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति की गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र रहा है। वर्तमान में संस्था के महंत स्वामी दुर्गेशानन्द सरस्वती महाराज ने अपने गुरूदेव की प्रबल भावनाओं का आदर करते हुए आश्रम परिसर में ही एक कक्ष जगद्गुरू आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति कार्यालय के लिए कक्ष का जीर्णोद्धार करवाकर समिति को सौंपा है, जो प्रशंसनीय है। आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति के महामंत्री स्वामी देवानन्द सरस्वती महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि जगद्गुरू भगवान आद्य शंकराचार्य चौक स्मारक एवं समिति स्थापना काल में महती भूमिका निभाने वाले ब्रह्मलीन महंत कल्याणानन्द सरस्वती संस्थापक मानव कल्याण आश्रम कनखल ने अपने जीवनकाल में जीवन पर्यन्त समिति कार्यालय एवं आश्रम कार्यालय एक ही कक्ष में संचालित करते रहे। इस अवसर पर महन्त रविन्द्र पुरी, श्रीमहंत देवानन्द सरस्वती, विनोद अग्रवाल, अनिरूद्ध भाटी, महंत धीरेन्द्र पुरी, महंत ललितानन्द गिरि, महंत विनोद गिरि, स्वामी कमलानन्द, महंत दिव्यानन्द, महंत प्रकाशानन्द आदि उपस्थित रहे।