हरिद्वार। शुक्रवार को महाशिवरात्रि देश भर में मनाया जाएगा। इस पर्व को लेकर तीर्थनगरी के सभी शिवालयों में खासी तैयारियां की जा रही हैं। शिवालयों को सजाया गया है। साथ ही जलाभिषेक के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं। फागुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महा शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। सनातन धर्म मंे महा शिवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे, इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट मिट जाते हैं। बताया कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए पहले भगवान शिव का जल से अभिषेक करना चाहिए और फिर उन्हें भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, बेलपत्र, अक्षत, गाय का दूध, लोंग, चंदन, कमलगट्टा समेत अन्य पूजा सामग्री अर्पण करना चाहिए। इस दौरान नंदी की भी पूजा करनी चाहिए। क्योंकि नंदी भगवान शिव के प्रथम गण हैं। उन्होंने बताया कि भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक सबसे सरल माध्यम ये भी है कि ओम नमः शिवाय का मंत्र उच्चारण करते रहना चाहिए। इसके अलावा शिव चालीसा का पाठ भी काफी शुभ माना गया है। भगवान शिव भोले हैं। वे साधक की सूक्ष्म आराधना से भी प्रसन्न हो जाते हैं। जिसके पास अर्पण करने के लिए सामग्री उपलब्ध न हो वह यदि सच्चे मन से केवल जल से भी उनका पूजन किया जाता है तो भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान शिव की पूजा के बाद अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान शिव की आरती उतारना चाहिए, यदि भक्त चाहते हैं तो वे महाशिवरात्रि के दिन व्रत भी रख सकते हैं। महाशिवरात्रि के दिन ओम नमः शिवाय का जाप अधिक से अधिक करना चाहिए। बताया कि यदि कोई महाशिवरात्रि पर रात्रि में भगवान की चतुर्थ प्रहर की पूजा करता है तो उसे भगवान शिवा का सानिध्य प्राप्त होता है।