हरिद्वार। गंगा संरक्षण पर केंद्रित राष्ट्रीय वेबीनार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि गंगा भारतीयता की पहचान है। इसे दुनिया की सबसे स्वच्छ नदी बनाने के लिए नई पीढ़ी को सक्रिय रूप से भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने हरिद्वार को दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में विकसित किए जाने पर भी जोर दिया।
स्पर्श गंगा और चमन लाल महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में गंगा के आध्यात्मिक, साहित्यिक और वैज्ञानिक स्वरूप पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में डॉ निशंक ने कहा की स्पर्श गंगा की तर्ज पर ही स्पर्श हिमालय अभियान की आवश्यकता है। युवाओं को गंगा के संरक्षण उसे और दुनिया की सबसे स्वच्छ नदी बनाने के अभियान का सक्रिय हिस्सा बनना चाहिए। उन्होंने स्पर्श शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि अपनी नदियों और अपनी धरती के साथ गहरे एहसास के साथ जुड़ने की जरूरत है। उन्होंने स्पर्श गंगा अभियान को और व्यापकता देते हुए इसके अंतर्गत आम लोगों के जीवन के उत्थान और परंपराओं के संरक्षण के कार्य को जोड़ने पर जोर दिया।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. निशंक ने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपनी प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए रचनात्मक गतिविधियों का हिस्सा बनें। डॉ. निशंक ने हरिद्वार को दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी बनाने और हर की पैड़ी को दुनिया के आध्यात्मिक आकर्षण का सर्वोत्तम केंद्र बनाने की जरूरत को भी रेखांकित किया। उन्होंने वैज्ञानिकों और शोधार्थियों का आह्वान किया कि वे गंगा के संरक्षण के लिए व्यापक कार्य योजनाएं तैयार करें।
उन्होंने कहा कि गंगा हमारे अस्तित्व की पहचान है। यह केवल नदी ही नहीं, बल्कि भारतीयता का प्रतीक और पर्याय भी है। गंगा भारत की जीवनधारा है और इसके किनारे पर विकसित हुई संस्कृतिया महान भारतीय परंपरा का उद्घोष करती हैं।
स्पर्श गंगा अभियान की राष्ट्रीय समन्वयक अरुषि पोखरियाल निशंक ने कहा कि इस अभियान के साथ चार लाख से अधिक लोग सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। आने वाले दिनों में स्पर्श गंगा की गतिविधियों को और विस्तार दिया जाएगा।
मुख्य अतिथि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी तथा मुख्य वक्ता श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पी पी ध्यानी की उपस्थिति में विशेषज्ञ वक्ताओं ने अलग हिमालय नीति बनाए जाने के प्रस्ताव पर सहमति जताई। साथ ही, हिमालय से निकलने वाली सभी नदियों को स्पर्श गंगा अभियान के साथ जोड़े जाने पर जोर दिया। प्रोफेसर त्रिपाठी ने गंगा के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक संदर्भ पर विस्तृत व्याख्यान दिया, जबकि प्रोफेसर ध्यानी ने गंगा से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों और पहलुओं पर अपनी बात रखी। वेबिनार की निर्देशक डॉ. सविता मोहन ने नदियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए राष्ट्रव्यापी गंगा यात्रा की जरूरत को रेखांकित किया।
विशिष्ट वक्ता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने उत्तराखंड की नदियों के संरक्षण के लिए समाज को सक्रिय भूमिका निभाने को कहा। विशिष्ट वक्ता कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर अतुल जोशी ने गंगा को भारत की अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण धुरी बताया। एक अन्य विशिष्ट वक्ता डॉ रामविनय सिंह ने कहा कि जो लोग गंगा को किसी भी प्रकार से प्रदूषित करते हैं, वे प्रकृति और अस्तित्व का को गहरा नुकसान पहुंचाते हैं।
वेबिनार अध्यक्षता कर रहे गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रभाकर बडोनी ने धरातल पर ठोस कार्य योजनाएं लागू किए जाने की जरूरत बताई। वेबीनार का संचालन और संयोजन चमनलाल महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर सुशील उपाध्याय ने किया। डॉ ऋचा चौहान ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर चमन लाल महाविद्यालय के प्रबंध समिति के कोषाध्यक्ष अतुल हरित, डॉ राखी उपाध्याय, डॉ अशोक गहलोत डॉ. बीना बेंजवाल आदि सहित देश के 24 राज्यों के 300 से अधिक विद्ववानों ने प्रतिभाग किया।