दैनिक बद्री विशाल
लक्सर/संवाददाता
गहलौर (बिहार) के दशरथ मांझी की तर्ज पर एक वृद्ध ने भी एक पैर से लाचार होते हुए अपनी वृद्ध पत्नी के साथ मिलकर मिट्टी की चिनाई कर अपने लिए घर बना दिया। जो शासन-प्रशासन और सरकार तथा जनप्रतिनिधियों के मुंह पर करारा तमांचा हैं, लेकिन बुजुर्ग परिवार अभी भी पानी और बिजली की समस्या से लगातार जूझ रहा है। इस ओर जनप्रतिनिधियों व प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।
खानपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत शिकारपुर गांव के रकबा निवासी वृद्ध (विकलांग) हुकम धीमान
अपनी पत्नि व एक पुत्र (जो मानसिक रुप से कमजोर है) के साथ गुजर बसर करता आ रहा है। पिछले लंबे समय से वह अपने परिवार के साथ कच्चे मकान में ही रहता आ रहा था। जब उसे कही से कोई सुविधा नही मिली, तो वृद्ध व्यक्ति ने विकलांग होते हुए भी, स्वयं ही अपनी पत्नी के साथ मकान की मिट्टी से चिनाई शुरू कर दी। जो कई माह बाद पूरी कर ली गयी।
सोचनीय प्रश्न यह भी है कि एक पैर से विकलांग होते हुए भी वृद्ध ने अपने हाथो से इस छोटे से मकान को तैयार किया लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि या सरकारी अधिकारियों ने उसकी इस पीड़ा को न ही देखा और न ही इसका समाधन निकाला। साथ ही वृद्ध परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने से भी वंचित रहा। वृद्ध ने जैसे-तैसे कच्चा मकान तो बना लिया, लेकिन पानी व बिजली की समस्या आज भी जस की तस बनी हैं। बुधवार को गांव में पहुंचे पत्रकारों ने वृद्ध का हाल जाना और उनसे बातचीत की। इस पर वृद्ध ने बताया कि वह एक पैर से विकलांग हैं और उन्हें कागजात बनाने में भारी परेशानी उठानी पड़ी। इसी के चलते वह योजनाओं से वंचित रहा। साथ ही कहा कि गांव या अन्य किसी भी जनप्रतिनिधि ने उनका कोई सहयोग नहीं किया। गरीबी और पैर से लाचार वृद्ध ने हार नहीं मानी और दशरथ मांझी की तर्ज पर अपने ही हाथों से कच्ची मिट्टी से मकान बना डाला। वृद्ध हुकम धीमान ने पत्रकारों के माध्यम से प्रशासन और सरकार से मांग की कि यदि वह हैडपंप लगवा दें, तो उनकी मेहरबानी होगी, चूंकि बिना पानी के उन्हें भारी परेशानी उठानी पड़ती हैं। साथ ही समाजहित में काम करने वाली अनेक संस्थाएं व एनजीओ भी इस ओर कदम उठाये और वृद्ध की समस्याओं को दूर करने में सहयोग दें।