अक्षय फल की प्राप्ति देता है अक्षय तृतीया पर किया गया कार्य

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हरिद्वार। वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया या आखा तीज कहते हैं। पुराणों के अनुसार इस तिथि में किये गये किसी भी शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है। सनातन धर्म की मान्याताओं के अनुसार बारहों महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुभ मानी जाती है, परन्तु वैशाख माह की तृतीया तिथि की गणना स्वयांसिद्धि महुर्तों में की गयी है ।इसी कारण इस तिथि का विशेष महत्व है।
अक्षय तृतीया के संबंध में ज्यातिषाचार्य पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री ने बताया कि सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ था। स्वयांसिद्धि महुर्त के कारण इस दिन बिना कोई पंचांग देखे, कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
बताया कि पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितृ पक्ष को किया गया तर्पण तथा पिंडदान अथवा किसी भी प्रकार का दान अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन किया गया गंगा स्नान और पूजन समस्त पापों को नष्ट करने में सक्षम होता है। अक्षय तृतीया को किया गया जप-तप, हवन-पूजन, दान का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया 26 अप्रैल को है। इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म होने के कारण इसे परशुराम जयंती भी कहा जाता है।
बताया कि इस बार अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 05 बजकर 48 से 12बजकर 19 मिनट तक रहेगा। सोना खरीदने का शुभ समय 05 बजकर 48 मिनट से से 1 बजकर 22 मिनट तक होगा। तृतीया तिथि का प्रारंभ 25 अप्रैल को 11 बजकर 51 मिनट से आरम्भ हो गया है। उदय तिथि में तृृतीया न होने के कारण 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाना श्रेयस्कर रहेगा।
बताया कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान गणेश जी ने भगवान व्यास के साथ महाभारत लिखना शुरू किया था। इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान करने का विधान है। बताया कि पुराणों में भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही सत्युग एवं त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण एवं हयग्रीव आदि तीन अवतार अक्षय तृतीया के दिन ही इस पृथ्वी पर आए। प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनारायण के कपाट भी अक्षय तृतीया को खुलते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी के चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया को ही होते हैं। श्री शुक्ल के मुताबिक सम्पूर्ण वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है, उसमें प्रमुख स्थान अक्षय तृतीया का है। इसके अतिरिक्त चैत्र शुक्ल गुड़ी पड़वा, वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया सम्पूर्ण दिन, आश्विन शुक्ल विजयादशमी तथा दीपावली की पड़वा।

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