सर्वे भवन्तु सुखिन की प्रार्थना के साथ गायत्री अश्वमेध महायज्ञ सम्पन्न

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भारत सहित रूस, अमेरिका आदि देशों के याजकों ने लिया भाग
हरिद्वार।
शांतिकुंज के तत्त्वावधान में हैदराबाद में 3 जनवरी से चल रहे गायत्री अश्वमेध महायज्ञ सोमवार को सम्पन्न हो गया। इस अवसर पर देश-विदेश से पहुंचे लाखों याजकों ने विशिष्ट वैदिक कर्मकाण्ड के साथ सर्वे भवन्तु सुखिनः की प्रार्थना की। पांच दिन तक चले इस महायज्ञ में भारत के अलावा रुस, अमेरिका सहित विभिन्न देशों के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। महायज्ञ के दौरान भारत की सांस्कृतिक की विरासत को अक्षुण्य बनाये रखने, विश्व की खुशहाली एवं विकास के लिए विशेष आध्यात्मिक अनुष्ठान किये गये। इस दौरान विशिष्ट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना व हवन भी किया गया।
गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने बताया कि सृष्टि और समाज के बिगड़ते हुए संतुलन को संभालने के लिए ही अश्वमेधों की श्रृंखला चलाई जा रही हैं। यज्ञ विज्ञान के प्राचीन सूत्रों का यह एक आध्यात्मिक प्रयोग है। यज्ञ प्रक्रिया हमें सद्भावना को सत्कर्मों के रूप में परिणित करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने बताया कि अश्वमेध महायज्ञों का उद्देश्य राष्ट्र देवता के प्रति, जीवन मूल्यों के प्रति विश्वास जाग्रत करना, जिंदगी जीने की विधियों का शिक्षण देना है। उल्लेखनीय है कि गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डॉ. प्रणव पण्ड्या व शैलदीदी महायज्ञ सम्पन्न कराने के पश्चात मंगलवार को लौट आये।
महायज्ञ के अंतिम दिन देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने युवा पीढ़ी मार्गदर्शन करते हुए सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सद्गुुुरु अपने शिष्यों के कष्टों को हरते हैं और उनके जीवन में सौभाग्य का अवतरण हों, इसके लिए वे हरसंभव प्रयास करते हंै।
शांतिकुंज व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र ने बताया कि भारत के अलावा आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड अमेरिका, कनाडा, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैण्ड में भी आश्वमेधिक अनुष्ठान सम्पन्न हो चुके हैं। इन महायज्ञ में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भागीदारी कर जीवन को सकारात्मक बदलाव की ओर आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि महायज्ञ में जीवन को सार्थक बनाने वाली विभिन्न कलाकृतियों की विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गयी थी, जिसने सभी को खूब आकर्षित किया।

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