पूजा-अर्चना के बाद आरम्भ हुई छड़ी यात्रा

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गंगा जल आचमन से बदल जाता है जीवनः नरेन्द्र गिरि
हरिद्वार।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के संतों ने हरकी पैड़ी पर पवित्र छड़ी की शुक्रवार को पूजा अर्चना की। इस दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी, महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी सहित सभी अखाड़ों के संत मौजूद रहे। पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना गंगा सभा के पदाधिकारियों द्वारा संपन्न करायी गयी। पवित्र छड़ी को हरिद्वार के मुख्य मार्गांे से भी ले जाया गया। जहां जगह-जगह पवित्र छड़ी यात्रा के साथ सम्मिलित संतांे का क्षेत्र के नागरिकों ने स्वागत किया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज व महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज का जयराम आश्रम में पहुंचने पर छड़ी व संतों का फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया गया। जयराम पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी व पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना कर भव्य शोभायात्रा में शामिल संतों पर फूलों की वर्षा की। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि जूना अखाड़े द्वारा पवित्र छड़ी यात्रा को पुनः शुरू किया जाना संत महापुरूषों व सनातन धर्म के लिए हर्ष का विषय है। चारधाम छड़ी यात्रा शुरू होने से उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन को बढावा मिलेगा। इस अवसर पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि पवित्र छड़ी की हरकी पैड़ी पर पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना की गयी। उन्होंने कहा कि मां गंगा के आचमन मात्र से जीवन बदल जाता है। मायादेवी मंदिर, जूना भैरव अखाड़ा में संतों महापुरूषों के सानिध्य में शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ंिसह रावत पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना में हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि यह छड़ी प्रदेश के विभिन्न जनपदों में भ्रमण करेगी। इस अवसर पर श्रीमहंत धर्मदास, श्रीमहंत राजेंद्रदास, मुखिया महंत भगतराम, श्रीमहंत नारायण गिरी, बापू मुक्तानंद, श्रीमहंत प्रेमगिरी, श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, महंत प्रेमदास, श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह, महंत देवानंद सरस्वती, सतपाल ब्रह्मचारी, श्रीमहंत साधनानंद, श्रीमहंत विद्यानन्द सरस्वती, श्रीमहंत आशीष गिरी, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, महंत अमनदीप सिंह, महंत व्यासमुनि, महंत ब्रह्ममुनि, महंत निर्मलदास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत दामोदरशरण दास, म.म.स्वामी शिवानंद, महंत निरंजनदास, स्वामी सुरेश मुनि आदि सहित बड़ी संख्या में संत महंत मौजूद रहे।

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