काशी और मथुरा को मुक्त करने की मांग करेगी अखाड़ा परिषद

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हरिद्वार। करीब 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद अब काशी और मथुरा को मुक्त कराने की भी मांग उठने लगी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने काशी और मथुरा मुक्त कराने की मांग की है। प्रेस को जारी बयान में उन्होंने कहाकि द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद को मुक्त कराने की रणनीति तैयार करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने सोमवार सात सितंबर को एक अहम बैठक बुलायी है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में प्रयागराज में हर साल लगने वाले माघ मेले और प्रयागराज परिक्रमा मार्ग के मुद्दे पर भी चर्चा होगी। इस बैठक में सभी तेरह अखाड़ों के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहाकि मुगलों ने काशी विश्वनाथ मंदिर में मंदिर के ऊपर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया था। आज जब वहां पर खुदाई हो रही है तो वहां पर सुरंग और मंदिर के दूसरे अवशेष मिल रहे हैं। जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि वहां पर मंदिर ही है। उन्होंने कहाकि कोरोना की वैश्विक महामारी के बढ़ रहे संक्रमण के चलते जनवरी 2021 में संगम की रेती पर लगने वाले माघ मेले की तैयारियों पर भी इसका असर पड़ सकता है। इसलिए कोरोना काल में प्रयागराज में माघ मेले का आयोजन कैसे होगा, इस पर साधु संतों से विचार विमर्श करने के लिए ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बैठक बुलायी है। यह बैठक श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में सुबह 11 बजे से होगी। जिसमें सभी अखाड़ों के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज ने कहाकि इस बैठक में केन्द्र और राज्य सरकार की कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी पूरी तरह से पालन किया जायेगा। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने बताया कि बैठक का आयोजन हरिद्वार में किया जाना था। लेकिन उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण बैठक प्रयागराज में ही आयोजित की जा रही है। उन्होंने हरिद्वार प्रशासन से बैरागी कैंप में स्थित बैरागी अणियों के मंदिर नहीं तोड़े जाने की अपील करते हुए कहा कि कुंभ मेले के दौरान सदियों से बैरागी कैंप में ही बैरागी संतों की छाविनयां स्थापित होती रही हैं। प्रशासन के पास इस संबंध में पूरा रिकार्ड हैं। ऐसे में मंदिर तोड़े जाने के प्रशासन के किसी भी प्रयास को अखाड़ा परिषद सहन नहीं करेगा।

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