जल संरक्षण आज की प्रमुख आवश्यकताः रविन्द्र पुरी

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हरिद्वार। वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इसे गंगा प्राकट्योत्सव भी कहा जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को जाह्नू ऋषि के जांघ से प्रवाहित होने के कारण ही इस दिन को जाह्नू सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इसी कारण जाह्नू ऋषि की पुत्री होने के कारण मां गंगा का एक नाम जाह्नवी भी है।
गंगा सप्तमी के दिन ही मां गंगा की उत्पत्ति हुई। इस दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से शिवजी की जटाओं में उलझते हुए इस पृथ्वी लोक पर पहुंची थी। इसलिए इस दिन गंगा पूजन का एवं गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
इस अवसर पर मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी महाराज ने अपने वर्चुअल संदेश में आह्वान किया कि जल संरक्षण को प्राथमिकता के आधार पर अपनाया जाना चाहिए। वर्तमान में इस धरा पर केवल तीन प्रतिशत ही पेयजल उपलब्ध है। महन्त रविन्द्र पुरी ने सभी श्रद्धालुओं को गंगा की पवित्रता, निर्मलता, अविरलता को अक्षुण्ण बनाएं रखने के लिए शपथ लेने को कहा। उन्होंने आह्वान किया कि सभी श्रद्धालु जन माँ गंगा में किसी भी तरह की अनुपयोगी, दूषित, रासायनिक सामग्रियों का विसर्जन ना तो करेंगे और ना ही किसी को करने देंगे।
डॉ. सुनील कुमार बत्रा प्राचार्य ने अपने वर्चुअल संदेश के माध्यम से बताया कि गंगा है तो जीवन है तथा देश की आर्थिक एवं सामाजिक तानाबाना का आधार मां गंगा ही है। गंगा यमुनी संस्कृति का पालन पोषण का भी यह अमूल्य आधार है।

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