माउंट लिट्रा जी व आर्य बुक डिपो पर जिला शिक्षा अधिकारी ने की बड़ी कार्रवाई, आर्य बुक डिपो पर दूसरी बार हुई कार्रवाई

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रुड़की संवाददाता
प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद भी निजी स्कूल निजी प्रकाशन की पुस्तकें बच्चों पर थोपने और फीस मांगने संबंधी मैसेज भेजने से बाज नहीं आ रहे हैं जबकि सरकार के साफ आदेश हैं कि स्कूलों में सिर्फ एनसीईआरटी की पुस्तकें ही बच्चों को पढ़ाई जाएंगी और लॉकडाउन के दौरान किसी भी छात्र से फीस नहीं ली जाएगी।बावजूद इसके निजी स्कूल संचालक अपनी हठधर्मिता पर उतरे हुए हैं। ऐसी ही एक सूचना पर शनिवार की सुबह जिला शिक्षा अधिकारी डॉ आनंद भारद्वाज टीम के साथ रुड़की पहुंचे और एक दुकान पर छापेमारी की। इसके साथ ही उन्होंने माउंट लिट्रा स्कूल में भी छापेमारी की। इस दौरान टीम को निजी प्रकाशन की भारी मात्रा में पुस्तकों से भरा ट्रक बरामद हुआ। फिलहाल किताबों को एक कमरे में रखकर उसे सील कर दिया गया है।
बताया गया है कि जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. आनंद भारद्वाज को शनिवार की सुबह सूचना मिली कि बीटी स्थित आर्य बुक डिपो आर्य समाज मंदिर पर माउंट लिट्रा जी स्कूल के छात्र छात्राओं को निजी प्रकाशन की पुस्तकें बिक्री कर रहा है, जबकि अभी केवल एनसीईआरटी की पुस्तकों से ही पढ़ाई के लिए निजी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि सूचना को पुख्ता करने के लिए उन्होंने एक शिक्षक को अभिभावक बनाकर वहां पर भेजा, जहां उन्होंने 4 पुस्तकें खरीदी, किताबों के सेट में केवल 2 पुस्तकें ही एनसीईआरटी की मिली, बाकी निजी प्रकाशनों की थी। इसके बाद वह टीम के साथ माउंट लिट्रा स्कूल में पहुंचे और छापामार कार्रवाई की जहां उन्होंने निजी प्रकाशन की पुस्तकों से भरा ट्रक पाया, जिसमें प्रत्येक सेट में सिर्फ दो ही पुस्तकें एनसीईआरटी की बरामद हुई, किताबों को टीम ने एक कमरे में सील कर दिया। वही किताबों की दुकान पर भी कार्रवाई के लिए उन्होंने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को संस्तुति की है।
ज्ञात रहे कि आर्य बुक डिपो पर तत्कालीन ए एस डी एम आईएएस ट्रेनर नरेंद्र सिंह भंडारी ने भी नकली पुस्तकों का जखीरा भारी मात्रा में बरामद किया था। साथ ही पुस्तके बनाने के लिए उन्होंने उनकी फैक्ट्री पर भी धावा बोला था, लेकिन विभागीय हिला वाली के चलते इन किताबों के माफियाओं ने नाम बदलकर अपनी दुकाने फिर से संचालित कर दी। जबकि 2018 में की गई कार्रवाई में दुकान की चाबी अभी भी शिक्षा विभाग के ही पास है। अब ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब शिक्षा विभाग के पास उक्त दुकानों की चाबियां हैं, तो ऐसे में उन्होंने किस तरह से इन दुकानों का संचालन बरकरार रखा, वहीं उन्होंने बातचीत करते हुए कहा कि निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेंगे, इसके अलावा अभिभावकों से कोई शुल्क लेने के लिए बाध्य नहीं हैं। और ट्रांसपोर्ट शुल्क पर भी पूरी तरह पाबंदी होना बताया। उन्होंने कहा कि यदि संबंधित कोई सूचना मिलती है तो ऐसे स्कूल संचालकों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

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