हरिद्वार। महानगर व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सेठी ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाते हुए मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है। बावजूद इसके निजी स्कूलों द्वारा फीस जमा कराने के लिए अभिभावकों के पास मैसेज भेजे जा रहे हैं। कहाकि निजी स्कूलों पर किसी का अंकुश न होने की वजह से अभिवावक परेशान हैं। लेकिन निजी स्कूलों के दवाब के चलते कोई सरकार अभिवावकों का दर्द सुनने को तैयार नहीं है। जिसके चलते 2 घण्टे की ऑन लाइन पढ़ाई करवाकर लगातार स्कूल प्रबंधकों द्वारा अभिवावकों को अप्रैल की फीस जमा करने के मैसेज भेजे जा रहे हैं। कहाकि अप्रैल के पूरे महीने लॉकडाउन के चलते जब स्कूल खुले ही नहीं तो फीस का कोई प्रश्न नहीं बनता। जब स्कूल नहीं खुले तो स्कूलांे के अनावश्यक खर्चे भी नहीं हुए। रही बात टीचरों को सेलरी देने की तो हमेशा अभिवावकों से लाखों, करोड़ांे का धन अर्जित कर संस्था चलाने वाले निजी स्कूल अपने पास से इतना खर्च वहन कर सकते हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और केंद्रीय मंत्री के दिये अनुचित बयानों जिसमंे ये कहा गया कि जो भी फीस देने मे समर्थ हैं वो फीस जमा करवाये ये असमंजस पैदा हो गया है। कुछ स्कूल फीस लेने के पक्ष में नहीं थे लेकिन अब अधिकतर स्कूल फीस के लिए मैसेज भेजकर अनावश्यक मानसिक दवाब अभिवावकों पर बना रहे हैं जो उचित नहीं है। उन्होंने पीएम मोदी से मांग करते हुए कहाकि निजी स्कूलों पर अभिवावक हित में उचित आदेश देकर इस समय फीस की वसूली को तत्काल रोका जाए।
हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत
हरिद्वार, 26 अप्रैल (हि.स.)। महानगर व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सेठी ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाते हुए मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है। बावजूद इसके निजी स्कूलों द्वारा फीस जमा कराने के लिए अभिभावकों के पास मैसेज भेजे जा रहे हैं। कहाकि निजी स्कूलों पर किसी का अंकुश न होने की वजह से अभिवावक परेशान हैं। लेकिन निजी स्कूलों के दवाब के चलते कोई सरकार अभिवावकों का दर्द सुनने को तैयार नहीं है। जिसके चलते 2 घण्टे की ऑन लाइन पढ़ाई करवाकर लगातार स्कूल प्रबंधकों द्वारा अभिवावकों को अप्रैल की फीस जमा करने के मैसेज भेजे जा रहे हैं। कहाकि अप्रैल के पूरे महीने लॉकडाउन के चलते जब स्कूल खुले ही नहीं तो फीस का कोई प्रश्न नहीं बनता। जब स्कूल नहीं खुले तो स्कूलांे के अनावश्यक खर्चे भी नहीं हुए। रही बात टीचरों को सेलरी देने की तो हमेशा अभिवावकों से लाखों, करोड़ांे का धन अर्जित कर संस्था चलाने वाले निजी स्कूल अपने पास से इतना खर्च वहन कर सकते हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और केंद्रीय मंत्री के दिये अनुचित बयानों जिसमंे ये कहा गया कि जो भी फीस देने मे समर्थ हैं वो फीस जमा करवाये ये असमंजस पैदा हो गया है। कुछ स्कूल फीस लेने के पक्ष में नहीं थे लेकिन अब अधिकतर स्कूल फीस के लिए मैसेज भेजकर अनावश्यक मानसिक दवाब अभिवावकों पर बना रहे हैं जो उचित नहीं है। उन्होंने पीएम मोदी से मांग करते हुए कहाकि निजी स्कूलों पर अभिवावक हित में उचित आदेश देकर इस समय फीस की वसूली को तत्काल रोका जाए।