लॉकडाउन काल में मानसिक स्वास्थ्य को दुरस्त रखना अहम

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हरिद्वार। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में लॉकडाउन चल रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अभी तक चल रहे प्रयासों से यह सिद्व हो गया है कि दुनिया में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन ही एकमात्र वैक्सीन है। जिसके द्वारा संक्रमण के प्रभाव से बचाना संभव है। ऐसे में लॉकडाउन के कारण घरों में कैद लोगों में अकेलेपन का प्रभाव बढता जा रहा है, जिसके कारण विकृत मानसिकता के चलते घरेलू हिंसा, चिंता, अवसाद आदि मानसिक संवेदनाओं से जुडी घटनायंे सामने आ रही है।
देश तथा राज्य सरकारें एक ओर जहां इस महामारी की त्रासदी के खिलाफ मिलकर जंग लड रही है, वहीं इस प्रकार की संवेदनहीनता से जुडी घटनायें विचलित करती है। इस संकट की घडी में कोरोना वायरस के संक्रमण से इतनी बढी आबादी को लॉकडाउन द्वारा बचाने तथा उनके मानसिक स्वास्थ्य को दुरस्त बनाये रखना किसी चुनौती से कम नही है।
साइकोलॉजिस्ट डॉ. शिवकुमार चौहान ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के मन की एक ऐसी अवस्था है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति के व्यवहार में नकारात्मक एवं सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति होती है। मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति के मन में आने वाले विचार तथा उनके क्रियान्वयन का तरीका छिपा रहता है। व्यक्ति के मन में इन विचारों के फलस्वरूप उठने वाली तरंगें उसमंे उत्साह का संचार करती है। जिसके फलस्वरूप रासायनिक परिवर्तन तंत्रिका तंत्र में उद्दीपन (स्टीमूलस) उत्पन्न करते है। व्यक्ति अपने मन के विचार की पूर्ति के लिए भिन्न-भिन्न कार्य योजना तैयार करता है और इन कार्य योजनाओं के अनुसार अपने विचारों की श्रृंखला को आगे बढाता है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में वह स्वंय को बोर अथवा ऊबा हुआ महसूस नहीं करता है। साइकोलॉजिस्ट डॉ. शिवकुमार चौहान ने बताया कि इस लॉकडाउन की स्थिति में घर पर रहकर बिना किसी रचनात्मकता तथा व्यस्तम जीवन शैली के विपरीत एकान्तवास में रहकर क्या मानसिक स्वास्थ्य को दुरस्त रखा जा सकता। यह प्रश्न हम सभी के सामने अनुत्तरीत है।
कहाकि घर से बाहर नहीं निकलने की बंदिश व्यक्ति के विचारों में तनाव, भय, चिंता, अवसाद, भम्र, उत्तेजना, संवेदनहीनता, सहनशक्ति आदि अनेक व्यवहारपरक गुणों के तालमेल को बिगाडती है जिसके कारण मानसिक समायोजन बिगडता है, और व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य खराब हो जाता है। बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को दुरस्त रखने के लिए कुछ सुझावों का पालन करते हुए मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है।
बताया कि कोरोना महामारी की वस्तु स्थिति को समझे तथा प्रमाणिक सूचनाओं पर भरोसा रखें। मन में उपजे नकारात्मक विचार को नियंत्रित करने के लिए अपनी संवेदन क्षमता को बढाए। खुद को व्यस्त रखने के लिए समयबद्व कार्यों को महत्व दें तथा उनमें नवीनता को खोजने का प्रयास करें। घर के अन्य सदस्यों को साथ लेकर कुछ नया करने की योजना बनायें और विशेषकर बच्चों से इसकी रॉय-सुमारी लें। बच्चों के रचनात्मकता कौशल तथा रूचि को महत्व दे तथा इसे रंगों से आकर्षक बनाने का प्रयास करें। क्राफ्ट के द्वारा भिन्न भिन्न आकृतियों को तैयार कर उन्हंे रंगों से सजाये। विधाता का धन्यवाद करने के लिए सुबह तथा शाम समय अवश्य निकाले। इससे मन को शान्ति एवं स्थिर करने मे सहायता मिलती है। बचपन से जुडी किसी हास्यप्रद घटना को बच्चों के साथ शेयर करे। भोजन कम तथा समय पर करें। महिलाओं के साथ किचन के छोटे-छोटे कार्यो में सहयोग करे, तथा मिलकर सभी एकसाथ भोजन करे। अपने समय के किसी प्रसिद्व गाने को गुन-गुनाये। यदि आप किसी वाद्य यंत्र को बजाना जानते हैं तो इसे भी अपनी दिनचर्या में शामिल करें। कम्पयूटर अथवा मोबाईल के किसी नये फिचर को सीखने का प्रयास करंे। मन में आये विचारों को समान महत्व न दंे। अपने पुराने एलबम तथा संग्रह किये गये फोटोग्राफ के साथ जुडें संस्मरणों को याद करे तथा उनके साथ यदि कोई प्रेरक घटना जुडी हैं तो बच्चों के साथ साझा करे। दिन के कार्यों के बीच अपने आराम के समय का भी ध्यान रखें। अपनी अलमारी, रेक आदि मे रखे सामान को व्यवस्थित करने के लिए समय निकाले। यदि घर आंगन में बागवानी है तो पेड-पौघों की निराई-गुडाई का कार्य करंे। क्यांेकि उन पर आते फूल तथा पत्तियां भी मनःस्थिति बदलती है। व्यायाम एवं यौगिक क्रियाओं को सीखने का अनुकूल समय है अथवा दैनिक स्वास्थ्य को बेहतर करने काघ् समय है। बताया कि इन उपायों को करने से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ्य रह सकता है।

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