शरीरिक शिक्षा को नई शिक्षा नीति का अंग बनाने पर खुशी जतायी

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हरिद्वार। गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग द्वारा नई शिक्षा नीति में खेल को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने पर खुशी जताई है। योग एवं शारीरिक शिक्षा संकाय के डीन एवं शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग के अध्यक्ष प्रो. आरकेएस डागर ने भारत सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए शारीरिक शिक्षा एवं खेल जगत से जुडे लोगों के लिए इसे एक ऐतिहासिक निर्णय तथा 30 जुलाई को एक निर्णायक दिन बताया। प्रो. डागर ने शारीरिक शिक्षा एवं खेल को शिक्षा का अनिवार्य अंग बनाये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के सपनों में फिट भारत की संकल्पना को इस निर्णय के द्वारा ज्यादा बेहतर ढंग से प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की जा सकेगी। इसके लिए उन्होंने हरिद्वार सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक का धन्यवाद ज्ञापित किया है।
उन्होने कहा गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय वर्ष 2008 में इस विचारधारा को लेकर चला था जिसके बाद शारीरिक शिक्षा के विभिन्न संगठनों तथा राष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से आवाज उठाई जाती रही। हरिद्वार में वर्ष 2008 मे शारीरिक शिक्षा के विद्वानों एवं विशेषज्ञों की उपस्थिति मंे आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि एवं उत्तराखंड सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को विज्ञान एवं कला जैसे विषयों की भाति शारीरिक शिक्षा एवं खेल को शिक्षा मंे अनिवार्य विषय मानते हुए शिक्षा का अंग बनाये जाने का आग्रह किया था। 12 वर्षांे के लम्बे समयान्तराल के बाद इस दिशा मंे सफलता मिलना शिक्षा जगत के लिए अविस्मरणीय क्षण है। शारीरिक शिक्षा से जुडे लोगों मे डा. शिवकुमार चौहान, डा. अजय मलिक, डा. कपिल मिश्रा, डा. अनुज कुमार, डा. प्रणवीर सिंह, कनिक आदि ने भारत सरकार के इस निर्णय पर खुशी जाहिर की है।

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